आज बाजार में क्रीम के एक नहीं हजारों ब्रांड उपलब्ध है। लेकिन एक चीज आपने सुनी होगी ओल्ड इज गोल्ड, वही बात बोरोलीन के साथ लागू होती है। बोरोलीन 91 साल पुरानी है और आज भी बहुत से लोग इसका इस्तेमाल करते हैं। इसका उत्पादन 1929 में कोलकाता के गौरमोहन दत्त द्वारा शुरू किया गया था। समय के साथ इसकी लोकप्रियता बढ़ती गयी और अम्ग्रेजी राज में यह 'स्वदेशी' एवं आर्थिक आजादी की पहचान बन गया।

आज मार्केट में तमाम प्रोडेक्ट होने के बाद भी लोग बोरोलिन क्रीम को इस्तेमाल करना पसंद करते हैं। 1929 में कोलकाता के गौर मोहन दत्त ने लोगों के लिए भारतीय ब्रांड में एंटीसेप्टिक क्रीम बनाने का फैसला किया था। जिसके पिछे ये सोच थी की देश में एक ऐसा एंटीसेप्टिक क्रीम हो जिसकी हर भारतीय तक पहुंच हो सके।

उस समय इम्पोर्टेड और महंगी क्रीम ही बाजार में उपलब्ध थे, जिन्हें हर कोई नहीं खरीद सकता था। आम लोग इन्हे खरीदने के बारे में सोच भी नहीं सकते थे।

बोरोलिन का नाम कैसे रखा गया-जब भी कोई प्रोडक्ट इतना पॉपुलर होता है तो उसके नाम के बारे में जानने के लिए भी लोग रूचि दिखाते हैं कि इसका नाम कैसे पड़ा। बोरोलीन शब्द का पहला हिस्सा बोरो, बोरिक पावडर से लिया गया है जो एक एंटी सेप्टिक प्रॉपर्टीज है। इसका दूसरा शब्द ओलिन है जो लैटिन शब्द है और इसका अर्थ तेल होता है।

क्या Ingredients मिलाकर बनती है बोरोलिन क्रीम

आपको बता दें, बोरोलिन क्रीम में तीन तरह के केमिकल- बोरिक एसिड, जिंक ऑक्साइड और एनहायड्रस लेनोसलिन का मिश्रण होता है। ये तीनों मिलकर आपको एक बहतरीन एंटीसेप्टिक क्रीम देते हैं।


15 अगस्त को बांटी गई मुफ्त बोरोलिन ट्यूब
भारत देश 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ था। कंपनी ने इस खुशी के मौके पर आम जनता को 1,00,000 से भी ज्यादा बोरोलिन ट्यूब मुफ्त में बांटी थी।

नेहरू ने भी किया बोरोलिन का इस्तेमाल
खबरों के मुताबिक देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भी इस क्रीम का इस्तेमाल किया था। आज भी कई लोग इस क्रीम का इस्तेमाल करते हैं। राज कुमार राव आज भी इसका इस्तेमाल करते हैं।

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