हिंदू पंचांग के अनुसार भारतीय महीनों का नाम नक्षत्र पर आधारित होता है जिस मास की पूर्णिमा को चंद्रमा जिस नक्षत्र में रहते हैं उसी महीने का नाम उसी नक्षत्र के आधार पर रखा गया है पौष के महीने में पूर्णिमा को चंद्रमा पुष्य नक्षत्र में रहता है इसलिए इस महीने को पौष नाम से जाना जाता है पौष का महीना 19 नवंबर से शुरू होकर 17 जनवरी तक रहेगा।

आप पौष के महीने के दौरान सूर्य की उपासना का भी काफी बड़ा महत्व है पौष के महीने में सूर्य की पूजा करने का विधान है कहा जाता है कि पौष के महीने में सूर्य भगवान ग्यारह हजार रश्मियों के साथ तपकर सर्दी से राहत देते हैंयही कारण है कि पौष महीने का भग नामक सूर्य साक्षात परम ब्रह्म का स्वरूप माना गया है शास्त्रों में ऐश्वर्य ,धर्म, यश ,श्री ,ज्ञान और वैराग्य को ही भग कहा गया है।

इस महीने में रविवार को तांबे के बर्तन में जल ,लाल चंदन और लाल फूल डालकर सूर्य का अध्र्य दे और 'ॐ सूर्याय नमः' मंत्र का जाप करें अगर संभव हो तो रविवार के दिन सूर्य देव के निमित्त व्रत भी रखे हैं और तिल ,चावल, खिचड़ी का दान करें जबकि व्रत का पारण शाम के समय किसी मीठे भोजन से करना चाहिए इस व्रत में नमक का सेवन वर्जित है इस व्रत को करने वाले व्यक्ति तेजस्वी बनता है।

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