कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को बुरी तरह प्रभावित किया है। कोरोना मरीजों की जान बचाने की कोशिश में कैंसर, एड्स जैसी गंभीर बीमारियों के मरीजों की कहीं सर्जरी टालनी पड़ीं तो कहीं समय पर इलाज नहीं मिल सका। स्वास्थ्य के महत्व के प्रति जागरुकता फैलाने के उद्देश्य से विश्व स्वास्थ्य संगठन हर साल सात अप्रैल को स्थापना दिवस पर 'विश्व स्वास्थ्य दिवस' मनाता है।इस खास अवसर पर हिन्दुस्तान की विशेष रिपोर्ट...

90% देशों में स्वास्थ्य सेवाएं ठप :
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने हाल में दुनियाभर के देशों की स्वास्थ्य सेवाओं पर कोरोना वायरस के प्रभाव को लेकर अध्ययन किया। इसमें 105 देशों के आंकड़ों से पता चला है कि कोरोना वायरस के कारण लगभग 90 प्रतिशत देशों की स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हुई हैं। कम और मध्यम आय वाले देशों को ज्यादा कठिनाईयों का सामना करना पड़ा है। अधिकतर देशों ने बताया कि कोरोना वायरस के कारण उनकी नियमित स्वास्थ्य सेवाएं ठप हो गईं। कम आय वाले देशों में कैंसर और एचआईवी जैसी खतरनाक और गंभीर बीमारियों के इलाज और इनसे जुड़ी स्वास्थ्य सेवाओं पर बुरा असर पड़ा। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, यह हमारे स्वास्थ्य तंत्र की खामियों को उजागर करता है।

अफ्रीकी देशों में सबसे बुरे हालात :
कोविड-19 महामारी फैलने पर ज्यादातर देशों ने नागरिकों को ये भरोसा दिया कि अस्पतालों में कोरोना संक्रमित लोगों को तरजीह मिलेगी। उन्हें बेड, वेंटिलेटर और ऑक्सीजन मिलेगी। कोविड-19 के मुकाबले हर उस बीमारी का इलाज टाला जाने लगा, जिसे गैर-जरूरी या आपातकालीन नहीं माना गया। फिर चाहे वो सर्जरी हों, डायलिसिस हो, टीकाकरण हो, कैंसर की जांच हो या अन्य बीमारियां। कोरोना वायरस से निपटने के चक्कर में कैंसर के मरीजों से लेकर गुर्दे की बीमारी के शिकार और ट्रांसप्लांट का इंतजार कर रहे लोगों की अनदेखी हुई। महामारी का सबसे बुरा प्रभाव गरीब मुल्कों पर पड़ा है। इन देशों में टीबी, मलेरिया और एचआईवी जैसी बीमारियों का इलाज ठप सा हो गया। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार, पहले से गरीबी और खराब स्वास्थ्य सेवाओं की मार झेल रहे अफ्रीकी देशों में अन्य बीमारियों का इलाज करा रहे 60 से 70 फीसदी लोगों को समय पर इलाज नहीं मिला।

बुजुर्गों पर ज्यादा असर:
कोविड-19 के कारण अमीर मुल्कों में लोगों की जान इसलिए भी ज्यादा जा रही है कि बहुत से बुजुर्ग, इस समय अनदेखी के शिकार हो रहे हैं। न्यूयॉर्क के एक आंकड़े के मुताबिक, कोविड-19 की महामारी फैलने के बाद से 75 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों की मौत में 811 गुना की बढ़ोतरी हुई है। मगर, कम आमदनी वाले देशों में अधिकतर आबादी युवा है। जैसे कि पश्चिम अफ्रीका के नीजैर में आबादी की औसत आयु केवल 15.2 वर्ष है। वहां पर कोरोना वायरस का प्रकोप कम ही देखने को मिला है। दिल्ली में एक कैंसर अस्पताल के अध्ययन के अनुसार, कैंसर के मरीजों में कोविड की दर सबसे ज्यादा है। इससे भी खराब बात यह है कि किसी आम कोरोना मरीजों की तुलना में इनकी मृत्युदर 7.6 गुना ज्यादा है।

आपातकालीन ऑपरेशन टले :
कोरोना वायरस के कारण देशों में घर-घर जाकर टीकाकरण करने की प्रक्रिया 70 प्रतिशत तक प्रभावित हुई। टीकाकरण की संस्थागत सेवाएं 61 प्रतिशत, परिवार नियोजन और गर्भनिरोधक की प्रक्रिया 68 प्रतिशत, मानसिक बीमारियों का इलाज 61 प्रतिशत, कैंसर का इलाज 55 प्रतिशत, गैर-संचारी रोग निदान और उपचार 69 प्रतिशत तक प्रभावित हुआ है। 19 प्रतिशत देशों में आपातकालीन ऑपरेशन भी कोरोना के कारण प्रभावित हुए।


वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा सूचकांक में 195 देशों में भारत 57वें स्थान पर
कोरोना महामारी ने हर देश का अपनी स्वास्थ्य व्यवस्थाएं दुरुस्त करने का सबक दिया है। गरीब देशों में स्वास्थ्य सुविधाओं के हालात आज भी काफी सीमित हैं। वैश्विक स्तर पर जारी होने वाले स्वास्थ्य सुरक्षा सूचकांक के अनुसार, भारत 195 देशों में 57वें स्थान पर है।

स्वास्थ्य सुरक्षा सूचकांक में अमेरिका शीर्ष पर :
वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा सूचकांक में में भारत स्थान पर है। यह सूचकांक विश्व स्तर पर महामारी और महामारी के खतरों का पहला व्यापक मूल्यांकन है। इस सूची में अमेरिका 83.5 अंकों के साथ शीर्ष पर है। इसके बाद ब्रिटेन (77.9) और नीदरलैंड (75.6) क्रमश: दूसरे और तीसरे स्थान पर है। शीर्ष स्थान पर शामिल अन्य देशों में ऑस्ट्रेलिया 75.5 अंकों के साथ चौथे स्थान पर है। इसके बाद कनाडा (75.3), थाईलैंड (73.2), स्वीडन (72.1), डेनमार्क (70.4), दक्षिण कोरिया (70.2) और फिनलैंड (68.7) शामिल हैं। भारत 46.5 अंक के साथ 57वें स्थान पर है। सूचकांक से यह भी पता चलता है कि अधिकतर देश किसी भी बड़े संक्रामक रोग से निपटने के लिए तैयार नहीं है।

स्वास्थ्य बजट में 137 फीसदी का इजाफा :
-कोरोना संकट को देखते हुए सरकार ने स्वास्थ्य बजट में 137 फीसदी का इजाफा किया
-स्वास्थ्य का बजट 94 हजार करोड़ से बढ़ाकर 2,23,846 लाख करोड़ किया गया
-वित्त मंत्री ने बजट में 'पीएम आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत' योजना का भी ऐलान किया
-इस योजना के लिए मद में अलग से 64180 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया

जीडीपी का 1.4% हिस्सा ही स्वास्थ्य पर खर्च :
-नई स्वास्थ्य नीति 2017 के अनुसार, भारत 2025 तक स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च 2.5 फीसदी करेगा
-निजी और सरकारी क्षेत्रों का संयुक्त खर्च जीडीपी का 3.9%। इसमें से सरकारी खर्च का हिस्सा सिर्फ 30% है
-स्वास्थ्य सेवाओं पर ब्राजील 4.6%, चीन 5.6%, इंडोनेशिया 3.9%, अमेरिका 48% और ब्रिटेन 8.3% खर्च करता है
-इन देशों में प्रति व्यक्ति आय दर भी भारत के मुकाबले कहीं ज्यादा

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