व्यायाम करने से अवसाद और चिंता होती है। शारीरिक परिश्रम कम करने वाले व्यक्ति को यह समस्या होने का खतरा अधिक होता है। व्यायाम करने से ऊर्जा और मानसिक जागरूकता मिलती है। अवसाद से बचने के लिए व्यायाम पर निर्भर रहें। सर्दियों का गुलाबी मौसम शरीर में खुशी और ताजगी लाने वाला कहा जाता है।

लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य हो सकता है कि मृत सर्दियों के दौरान भी, हमारे बीच के कुछ सबसे ऊर्जावान कीड़े भी थकान और मानसिक तनाव का अनुभव करते हैं। तब सामान्य जीवन का क्या हाल होगा? और यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है। क्योंकि यह सर्वविदित है कि मनोदशा और ऊर्जा पर्यावरण के साथ-साथ भौतिक कारकों पर निर्भर करती है और सर्दियों के ठंडे मौसम में जीवन शक्ति बनाए रखने का कार्य हमारे हाथ में है।

अगर छोटे दिनों और लंबी रातों के मौसम में आपकी ऊर्जा का स्तर गिर जाता है तो घबराने की जरूरत नहीं है। इसमें आप अकेले नहीं हैं, आपके कई साथी हैं। अमेरिका में हुए एक सर्वे में यह बात सामने आई कि गर्मी के मुकाबले सर्दियों में महिलाएं ज्यादा तनाव और अवसाद महसूस करती हैं और इसके पीछे की वजह पर गौर करें तो सर्दियों के मौसम में ऊर्जा के स्रोत सूर्य देव के दर्शन कम समय के लिए और कम समय के लिए होते हैं। जैसे-जैसे दिन छोटे होते हैं और हवा ठंडी होती है, हम बाहर जाने के बजाय घर के अंदर ही रहते हैं। हम बिस्तर के अंदर घुसकर सोना पसंद करते हैं। यह भी सच है कि ज्यादा धूप भी हानिकारक होती है।

लेकिन सूरजदादा का आशीर्वाद हमें खुश रखने के लिए और हमारे विटामिन `डी´ के स्तर को बनाए रखने के लिए जरूरी है। इतना कहने के बाद इसका उपाय बताना जरूरी नहीं है। फिर भी, दोपहर में जब सिर पर सूरज धधक रहा हो, लंच के बाद ऑफिस में बैठने के बजाय, बाहर जाकर दो गिलास दूध पी लें। दूध और धूप विटामिन डी के ज्ञात स्रोत हैं। ऐसा करने से आपको दिन में जरूरी विटामिन `डी´ मिलेगा और शरीर व मन में ऊर्जा का संचार होगा।

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