आखिर क्यों तोड़ दी जाती है पहलवानों के कान की हड्डी, ये है कारण
कुश्ती भारत का एक प्राचीन समय का खेल है जो राजा महाराजों के समय से खेला जाता है। एक पहलवान बनने के लिए कड़ी मेहनत की जरूरत होती है और सालों तक इसके लिए अभ्यास भी करना होता है।
लेकिन क्या आपने कभी देखा कि पहलवानों के कान बाहर की तरफ उभरे हुए क्यों होते हैं? जो कान आप देख रहे हैं यह स्थिति कोली फ्लावर ईयर के नाम से जानी जाती है।
ऐसा तब होता है जब कानों पर जोरदार घर्षण हो जाए। क्योकिं पहलवान को बेहद ही विपरीत परिस्थितयों से गुजरना होता है। इस खेल में यदि कोई एक व्यक्ति दूसरे के किसी नाजुक शरीर के अंग पर प्रहार करे तो बेहद दर्द का सामना करना पड़ सकता है।
कान भी सबसे नाजुक हिस्सों में से एक है। इस पर हल्का सा प्रहार होते ही कान की हड्डी टूट जाती है। दरअसल कान की हड्डी तोड़ी नहीं जाती बल्कि ये टूट जाती है। दूसरा पहलवान कान पे घुटना , कोहनी मारता है तो भी कान की हड्डी टूट जाती है।