महाभारत युद्ध में यवन देश की सेनाओं ने भी भाग लिया था। इतना ही नहीं ग्रीक, रोमन, अमेरिका जैसे देशों के योद्धाओं द्वारा इस युद्ध में शामिल होने की जानकारी मिलती है। इसलिए कुछ लोग महाभारत युद्ध को ही प्रथम विश्व युद्ध मानते हैं। यह बात सभी जानते हैं कि द्वापर युग में कौरवों और पांडवों के महाभारत का युद्ध लड़ा गया था।

महाभारत का युद्ध कुरूक्षेत्र में लड़ा गया था, चूंकि इस युद्ध भूमि पर लाखों योद्धाओं ने अपने प्राण गवाएं थे, इसलिए आज भी कुरूक्षेत्र की मिट्टी का रंग लाल है। लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि इस युद्ध भूमि से आज तक एक भी लाश नहीं मिली है। यह एक रोचक प्रश्न है, आखिर इस युद्ध भूमि से एक भी योद्धा का नर कंकाल आज तक क्यों नहीं मिला।

दरअसल महाभारत युद्ध में वीरगति प्राप्त करने वाले सभी योद्धाओं का अंतिम संस्कार किया जाता था। इसलिए कुरूक्षेत्र के युद्ध में मरने वाले किसी भी योद्धा की अस्थियां आज तक नहीं मिली। सबसे बड़ी बात की यह युद्ध केवल दिन में किया जाता था, शाम ढलते ही महाभारत का युद्ध रोक दिया जाता था।

जिस दिन भीष्म पितामह ने अंतिम सांस ली तो उस दिन कुरूक्षेत्र के युद्ध के समाप्त होने की घोषणा भी की गई थी। अब सवाल यह उठता है कि महाभारत युद्ध के लिए कुरूक्षेत्र को ही क्यों चुना गया था? बता दें कि महाभारत के लिए युद्ध भूमि की तलाश भगवान श्रीकृष्ण ने ही की थी। श्रीकृष्ण नही चाहते थे कि युद्ध के दौरान सगे-संबंधी आपस में संधि कर लें। इसलिए युद्ध के लिए ऐसी जमीन चुनी गई जिसमें क्रोध और द्वेष के संस्कार पर्याप्त मात्रा मौजूद हो।

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