एकादशी के दिन क्यों नहीं खाया जाता है चावल, जानिए इसके पीछे की वजह
एकादशी का व्रत बहुत से लोग रखते हैं। एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित होती है इस दिन उनकी पूजा की जाती है। आपको जानकारी के लिए बता दें कि एक साल में 24 एकादशी होती है। एकादशी हर महीने के दोनों पक्षों में आती है। आज श्रावण मास की पुत्रदा एकादशी है और ये पुत्र की लंबी उम्र के लिए रखी जाती है।
पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने से कई परेशानियों से छुटकारा मिलता है। इस दिन भगवान विष्णु का सच्चे मन से ध्यान करना चाहिए। इस दिन व्रत, जप- तप और दान पुण्य करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इस दिन चावल खाने की भी मनाही है लेकिन आखिर चावल खाने से मना क्यों किया जाता है? इसी बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं।
मान्यताओं के अनुसार, एकादशी के दिन चावल खाते हैं तो उस से रेंगने वाले जीव के रूप में जन्म मिलता है। पौराणिक कथा के अनुसार, माता शक्ति के क्रोध से बचने के लिए महार्षि मेधा ने अपने शरीर को त्यागदिया था और र उनके शरीर के अंग धरती में समा गया था, उस दिन एकादशी थी। कहा जाता है कि महार्षि मेधा का जन्म जौ और चावल के रूप में हुआ था। इसी कारण जौ और चावल को जीव माना जाता है और एकादशी को चावल नहीं खाए जाते हैं। एकादशी के दिन चावल खाना महार्षि मेधा के मांस और रक्त का सेवन करने के समान माना गया है।