खाने के तेल के दाम दिनों दिन बढ़ते ही जा रहे हैं। इस साल सरसों के उत्पादन में अच्छी वृद्धि हुई लेकिन फिर भी इसकी कीमत कम नहीं हुई। लेकिन अब सरकार इन कीमतों को कम करने पर विचार कर रही है। इसके लिए कई उपाय किए जा रहे हैं जैसे कि कच्चे तेल के आयात पर एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट सेश (AIDC) में छूट दी जाए ताकि तेलों के दाम घरेलू बाजार में गिरे।

अगर सरकार आयात शुल्क में कृषि सेस को कम कर तो तेल की कीमतों में कमी आ सकती है। इस श्रेणी के ज्यादातर खाद्य तेल विदेशों से आयात होते हैं।

आयात किए गए पाम ऑयल पर 17.5 परसेंट, सनफ्लावर और सोयाबीन तेल पर 20-20 परसेंट कृषि सेस लगता है। अभी हाल में हुए अंतरमंत्रालीय बैठक में कृषि सेस घटाने का मुद्दा उठा था। अब सरकार इस पर बड़ा फैसला ले सकती है।

आंकड़ों के अनुसार सोयाबीन तेल के दाम पिछले 5 साल में 80 रुपये बढ़कर 158 रुपये तक पहुंच गए हैं। वहीं सूरजमुखी तेल के दाम 110 रुपये हुआ करते थे जो अब 175 रुपये प्रति लीटर तक हो गए हैं। सरसों तेल मिल डिलीवरी दादरी भी 25 रुपये बढ़कर 15,150 रुपये क्विंटल हो गया।

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