कई धर्मों में अपने प्रभु या भगवान की परिक्रमा करने का चलन है। हिंदू धर्म में भी कई देवी देवताओं की परिक्रमा की जाती है। ये परिक्रमा पूरी होती है लेकिन जब हम शिव् जी की परिक्रमा करते हैं तो ये केवल आधी ही लगाई जाती है। इसे चंद्राकार परिक्रमा कहा जाता है। परिक्रमा के दौरान जलाधारी को लांघना मना होता है। इसी के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं।

ये है कारण
शिवलिंग की परिक्रमा आधी करने के पीछे एक धार्मिक कारण है वो ये कि शिवलिंग को शिव और शक्ति दोनों की सम्मिलित ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। ।ये जल जिस मार्ग से निकलता है, उसे निर्मली, सोमसूत्र और जलाधारी कहा जाता है।


इसलिए नहीं लांघी जाती है जलाधारी
शिवलिंग इतना अधिक शक्तिशाली होता है कि उस से निकलने वाला जल में भी ऊर्जा के कुछ अंश मिल जाते हैं। ऐसे में जल को कोई लांघे तो उस व्यक्ति के पैरों के बीच से ये ऊर्जा उसके शरीर में प्रवेश कर जाती है। इस से उस व्यक्ति को वीर्य या रज संबन्धित शारीरिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

वैज्ञानिक वजह भी समझें
वैज्ञानिक कारणों के अनुसार शिवलिंग ऊर्जा का भंडार होता है और इनके आसपास के क्षेत्रों में रेडियो एक्टिव तत्वों के अंश भी पाए जाते हैं। काशी के भूजल में यूरेनियम के अंश भी मिले हैं। रशिवलिंगों के आसपास के क्षेत्रों में रेडिएशन पाया जाता है। इसलिए इसे लांघने से व्यक्ति को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

ऐसे में लांघ सकते हैं जलाधारी
कहीं-कहीं पर शिवलिंग पर चढ़ाया हुआ जल सीधा भूमि में जाता है या फिर वहां पर बनाई गई जलाधारी जमीन में दबी हुई होती है। ऐसी स्थिति में शिवलिंग की पूरी परिक्रमा की जा सकती है।

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