त्रिदेवों में भगवान शंकर, विष्णु और ब्रह्मा है। ये तीनों सृष्टि को चलाने वाले हैं और हिन्दू धर्म में इनका काफी अधिक महत्व है। ये तीनों देवता अलग अलग आसन पर विराजमान हैं। भगवान शिव बाघ की खाल पर, वहीं ब्रह्मा जी कमल पुष्प पर और भगवान विष्णु को शेषनाग पर विराजमान दिखाया जाता है। तो क्या आपको पता है कि आखिर ये तीनों देव इन पर क्यों विराजमान है? आइए जानते हैं।

शिव पुराण के अनुसार एक बार महादेव वन में भ्रमण करते हुए एक ऐसे स्थान पर पहुँच गये जहां ऋषि अपनी पत्नियों के साथ निवास किया करते थे। भोलेनाथ को देखते ही ऋषियों की पत्नियां उनकी ओर आकर्षित हो गई तब अपनी योगमाया से ऋषियों ने भोलेनाथ को एक गड्ढे में डाल दिया जहां अनेकों बाघ थे। उन्हें लगा था कि ये बाघ भगवान शिव को खा जाएंगे लेकिन कुछ देर बाद भगवान शिव बाघ की खाल के साथ गढ्ढे से बाहर निकल गए। यह देखकर ऋषियों को आभास हुआ कि उन्होंने परब्रह्म का अपमान किया है। तब उन्होंने भगवान शिव से श्रमा मांगी। तभी से भगवान शिव बाघ की खाल पर विराजमान हैं।

जगत की पालना करने वाले विष्णु ने कई बार पृथ्वी पर जन्म लिया और धर्म की स्थापना की। शेषनाग को भगवान विष्णु का सेवक माना जाता है और वी उसी पर विराजमान होते हैं।इसी कारण भगवान विष्णु को क्षीर सागर में शेषनाग की शैया पर विश्राम करते हुए ही दिखाया जाता है।

सृष्टि की रचना के समय भगवान विष्णु की नाभि से ब्रह्माण्ड रूपी कमल पुष्प निकला था। तभी से सृष्टि के रचनाकर्ता भगवान विष्णु कमल के फूल पर विराजमान हैं।

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