भगवान शिव को आपने बाघ की खाल पहने और उसी पर विराजमान हुए देखा होगा। तब आपके मन में ये सवाल जरूर आया होगा कि आखिर वो बाघ की खाल पर क्यों बैठते हैं। लोककथाओं के अनुसार, बाघ की खाल शिव को दुनिया की सभी शक्तियों के नियंत्रक के रूप में दर्शाती है।

हालाँकि, शिव पुराण में इसके पीछे एक कहानी है जो इस बारे में आपको जानकारी देगी कि आखिर क्यों वो बाघ की खाल पर विरजामन क्यों होते हैं।

शिव नंगे शरीर वाले ऋषि के रूप में पूरी दुनिया में घुमा करते थे। एक बार, वह एक जंगल से गुजर रहे थे, वहां कई संत अपनी पत्नियों के साथ रहते थे। संतों की पत्नियां युवा सुंदर शिव की ओर आकर्षित हो गई। वे शिव की ओर इतना आकर्षित हो गई कि उनका ध्यान अपने घरेलू कामों की ओर भी नहीं जाता था।

जब संतों को लगा कि पत्नियों के बदले हुए व्यवहार का कारण शिव हैं, तो उन्होंने उन्हें सबक सिखाने का फैसला किया। शिव रोज टहलने जाते थे। उसी मार्ग में उन्होंने एक विशाल गड्ढा बना लिया और फिर अपनी शक्तियों का उपयोग कर के बाघ बनाया जो उसी गड्ढे से निकला था।

लेकिन शिव के लिए बाघ को संभालना मुश्किल नहीं था। उन्होंने उसे मार डाला, उसकी त्वचा को फाड़ दिया और उसे अपने शरीर के चारों ओर लपेट लिया। आखिरकार, संतों को महसूस हुआ कि जो अपनी शक्तियों से इस बाघ को मार सकता है, वह कोई साधारण ऋषि नहीं है। इसके बाद सभी उनके चरणों में गिर गए। तब से, शिव बाघ की खाल पहनते हैं, जो प्रतीकात्मक रूप से दर्शाता है कि वह सर्व शक्तिशाली है।

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