आखिर करोड़ों में क्यों बिकती है व्हेल की उल्टी? इसे आखिर क्यों कहा जाता है तैरता सोना
आपने आज तक कई बार सुना होगा कि व्हेल की उलटी करोड़ों रुपए में बिकती है। अभी कुछ समय पहले ये यमन के 35 मछुआरों के हाथ लगी थी। इसकी कीमत 11 करोड़ रुपए थी। Ambergris को स्पर्म व्हेल का ‘वॉमिट गोल्ड’ कहा जाता है और इसकी कीमत 35 लाख रुपए प्रति किलो तक हो सकती है।
ये महंगी इसलिए होती है क्योकिं इसका इस्तेमालल महंगे परफ्यूम बनाने में किया जाता है जो हजारों या लाखों में बिकते हैं। आपको जानकारी के लिए बता दें कि जब स्पर्म व्हेल किसी कैटलफिश, ऑक्टोपस या किसी दूसरे समुद्री जीव को खाती है तो उसके पाचन में एक खास स्त्राव होता है। इसा इसलिए जिस से कि नुकीले दांत शरीर के अंदर पहुंच कर उसके शरीर को नुकसान नहीं पहुचाएं। बाद ये व्हेल गैर जरूरी चीजों को उल्टी के जरिए मुँह से बाहर निकाल देती है। सूरज की रोशनी और समुद्र का खारा पानी मिलने के बाद उल्टी एम्बेग्रेस बन जाता है।
अरब देशों में भारी मांग
अरब देशों में इसकी काफी मांग है। हड्डियों, तेल और एम्बेग्रेस के लिए व्हेल मछली का शिकार भी किया जाता है। इसका इस्तेमाल परफ्यूम और दवाइयां बनाने के लिए किया जाता है। लेकिन आपको ये जान लेना चाहिए कि एम्बेग्रेस की बिक्री करना गैर कानूनी है। दरअसल स्पर्म व्हेल को 1970 में लुप्तप्राय प्रजाति घोषित किया गया था। इसके गैर कानून व्यापार में कई लोगों को गिरफ्तार किया गया है।