महाभारत का युद्ध सबसे बड़ा युद्ध है जिसमे लाखों करोड़ों योद्धाओं ने भाग लिया। इस युद्ध को धर्म की स्थापना करने वाला युद्ध कहा जाता है। इस युद्ध में लाखों योद्धाओं की मौत हुई लेकिन एक ऐसा योद्धा ऐसा भी था जो हजारों सालों से आज भी धरती पर भटक रहा है।

महाभारत युद्ध में ऐसी क्या गलती की थी इस योद्धा ने जिसको इतना बड़ा मूल्य चुकाना पड़ा रहा है। हम बात कर रहे हैं अश्वत्थामा की। तो आखिर ऐसा क्यों है कि अश्वत्थामा को आज भी धरती पर भटकना पड़ रहा है।


आपको जानकारी के लिए बता दें कि अश्वत्थामा, गुरु द्रोणाचार्य ,कृपाचार्य की बहन कृपी का पुत्र था। द्रोणाचार्य का अपने पुत्र के प्रति बहुत ही ज्यादा स्नेह था। इसी स्नेह की वजह से ही अपनी सोच के विपरीत उन्हें कुरुक्षेत्र युद्ध में अधर्मियों का साथ देना पड़ा।

बात युद्ध के दिनों की है जब भीष्म पितामह की तरह गुरु द्रोणाचार्य भी पांडवों की विजय में सबसे बड़ी बाधा बनते जा रहे थे. श्री कृष्ण जानते थे कि गुरु द्रोण के जीवित रहते पांडवों की विजय असंभव है. इसलिए कृष्ण ने एक योजना बनाई जिसके तहत महाबली भीम ने अश्वत्थामा नाम के एक हाथी का वध कर दिया था. ये हाथी मालव नरेश इंद्र वर्मा का था.

युद्ध के अंतिम दिन दुर्योधन के हार के बाद अश्वत्थामा ने बचे हुए कौरवों की सेना के साथ मिलकर पांडवों के शिविर पर हमला किया। तब उसने कई लोगों को मौत के घाट उतार दिया। उसने द्रौपदी के पुत्रों की भी हत्या कर डाली। अपने इस कायराना हरकत के बाद अश्वत्थामा शिविर छोड़कर भाग निकला। जब इस बारे में अर्जुन को पता चला तो उन्होंने क्रोधित होकर द्रौपदी से कहा कि वो अश्वत्थामा का सर काटकर उसको अर्पित करेगा /

अर्जुन और कृष्ण अश्वत्थामा को ढूंढने के लिए निकल पड़े। अपनी सुरक्षा के लिए अश्वत्थामा ने ब्रम्हास्त्र का प्रयोग किया जो उसे द्रोणाचार्य ने दिया था। गुरु पुत्र होने पर भी उसे केवल ब्रम्हास्त्र छोड़ना आता था, वापस लेना नहीं आता था। तथापि उसने ब्रम्हास्त्र का प्रयोग किया. उधर, श्री कृष्ण ने भी अर्जुन को ब्रम्हास्त्र छोड़ने की सलाह दी.

अश्वत्थामा ने ब्रम्हास्त्र पाण्डवों के नाश के लिए छोड़ा था। अर्जुन के द्वारा ब्रम्हास्त्र को नष्ट करने के बाद अश्वत्थामा को रस्सी में बांधकर द्रौपदी के पास लाया गया।अश्वत्थामा को रस्सी से बंधा देख द्रौपदी का कोमल हृदय पिघल गया और उसने अर्जुन को उन्हें बंधन मुक्त करने को कहा। अश्वत्थामा के कृत के लिए भगवान कृष्ण ने उसे श्राप दिया कि तू पापी लोगों का पाप ढोता हुआ तीन हजार वर्ष तक निर्जन स्थानों में भटकेगा। तेरे शरीर से सदैव रक्त की दुर्गंध निश्रत होती रहेगी। तू अनेक रोगों से पीड़ित रहेगा और मानव और समाज भी तुमसे दुरी बनाकर रहेंगे। कहा जाता है कि कृष्ण के श्राप के कारण ही वह आज भी इस धरती पर भटक रहा है।

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