'कभी सास भी - कभी बहु थी ' और सास - बहू की रामायण हमने अपने घर - परिवार से लेकर टी.वी जगत की दुनिया तक सुना है। ऐसा भी कहा जाता है कि सास कभी बहु को अपनी बेटी की तरह नहीं मानती तो बहु के लिओए भी कहा जाता है कि बहु सास को कभी अपनी माँ की तरह प्यार नहीं कर सकती। ये बातें और किस्से अपने कई मर्तबा सुने भी होने और देखे भी होंगे। लेकिन क्या अपने कभी सुना है , किसी मंदिर का नाम ही 'सास - बहु का मंदिर' हो नहीं ..... लेकिन हमने सुना है और आज आपको इस मंदिर की रोचक कहानी भी बता रहे है। 'सास - बहु का मंदिर' ये मंदिर उदयपुर जिले में स्थित है।

दरसअल मेवाड़ राजघराने की राजमाता ने उदयपुर में भगवान विष्णु का मंदिर बनवाया था। वहीं उनकी बहु ने उसी मंदिर के एकदम पास में शेषनाग महादेव का मंदिर बनवाया था। जिसके चलते इन दोनों सास-बहू के द्वारा निर्माण कराए जाने की वजह से आज इन दोनों मंदिरों को 'सास-बहू के मंदिर' के नाम से पुकारा जाता है। इस शहर में ही नहीं आज कई देशों तक इस मंदिर को इसी नाम से जाना जाता है। खास बात यह है कि बहू का मंदिर, सास के मंदिर से थोड़ा छोटा बनवाया है। मंदिर की दीवारों को रामायण की विभिन्न घटनाओं के साथ सजाया गया है।

ऐसा भी कहा जाता है कि इस मंदिर को इनसे पहले 1100 साल पहले इस मंदिर का निर्माण राजा महिपाल और रत्नपाल ने करवाया था। मंदिर के प्रवेश-द्वार पर महाभारत की पूरी कथा को उकेरा गया है वही छत को शिव-पार्वती की प्रतिमाए बनी हुई है। सास - बहू के दोनों मंदिरों के बीच में ब्रह्मा जी का छोटा सा मंदिर है जो पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है।

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