छोटी दिवाली पर क्यों की जाती है यमराज की पूजा ?
दोस्तों, आपको बता दें कि इन दिनों दीपोत्सव पर्व जारी है। ऐसे में सोमवार को धनतेरस बीत जाने के बाद मंगलवार यानि 6 नवंबर को नरक चतुर्दशी का त्यौहार है। आपको इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष चतुर्दशी के दिन इस पर्व को मनाया जाता है। इसे हिंदू धर्म में रूप चौदस, रूप चतुर्दशी अथवा यम चतुर्दशी भी कहा जाता है। सामान्यतया लोग इसे छोटी दिवाली भी कहते हैं।
मान्यता है कि छोटी दिवाली को यमराज की पूजा-अर्चना तथा दीपदान करने से मृत्यु के पश्चात जातक को नर्क नहीं भोगना पड़ता है। गुजरात में छोटी दिवाली को मां काली और हनुमान जी की पूजा की जाती है। इसलिए गुजरात में छोटी दिवाली को काली चतुर्दशी भी कहा जाता है। इस दिन यमराज की भी पूजा की जाती है।
कहा जाता है कि पूजा के दौरान यमराज के 14 नाम लेकर उन्हें नमस्कार करने पर नर्क नहीं जाना पड़ता है। यम चतुर्दशी यानि नर्क चर्तुदशी के दिन सुबह स्नान करने के पश्चात साफ कपड़े पहनकर दक्षिण दिशा की ओर बैठकर भगवान यमराज के इन मंत्रों का जाप करें। ऐसा करने से जातक के वर्षभर के पापों का अंत हो जाता है।
भगवान यमराज के मंत्र कुछ इस प्रकार हैं
ऊं सर्वभूतक्षयाय नम:, ऊं मृत्यवे नम:, ऊं धर्मराजाय नम:, ऊं यमाय नम:, ऊं नीलाय नम:, ऊं वृकोदराय नम:, ऊं कालाय नम:, ऊं अन्तकाय नम:, चित्रगुप्ताय नम:, ऊं दध्राय नम:, ऊं चित्राय नम:, ऊं परमेष्ठिने नम:, ऊं औदुम्बराय नम:, ऊं वैवस्वताय नम:।