भारत एशिया का दूसरा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। भारत में रेलवे स्टेशन की संख्या लगभग 8000 है। लेकिन अगर आपने कभी गौर किया होगा तो देखा होगा कि रेलवे स्टेशन पर बोर्ड पर रेलवे स्टेशन के नाम के साथ समुद्र तल से ऊंचाई भी लिखी होती है। तो आपने सोचा कि ऐसा आखिर क्यों होता है ? इसी बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं।

दरअसल, ये दुनिया गोल है इसलिए इसे एक समान ऊंचाई पर नापने के लिए वैज्ञानिकों को किसी ऐसी बिंदु की जरूरत थी जो एक समान दिखे। लिहाजा इस मामले में समुद्र सबसे बेहतक विकल्प है। इसलिए रेलवे स्टेशन पर समुद्र तल से ऊंचाई लिखी जाती है। रेलवे स्टेशनों पर समुद्र तल की ऊंचाई लिखने से यात्रियों को कोई फायदा नहीं होता। इसका फायदा ट्रेन के ड्राइवरों को होता है।

अब आप पूछेंगे कि भला ये जानकारी ड्राइवर के किस काम की है? तो उदाहरण के तौर पर बता दें कि मान लीजिए एक ट्रेन 100 मीटर समुद्र तल की ऊंचाई से 200 मीटर समुद्र तल की ऊंचाई पर जा रही है, तो ड्राइवर को ये जानने में मदद मिलती है कि अब उसे ट्रेन इंजन को कितनी पावर देने की जरूरत होगी।

ठीक उसी तरह जब ट्रेन ऊंचाई से नीचे की ओर आती है तो ड्राइवर को कितना ब्रेक लगाना पड़ेगा या कितनी स्पीड बनाए रखने की जरूरत पड़ेगी। यही कारण है कि रेलवे स्टेशन पर समुद्र तल से ऊंचाई लिखी जाती है।

इसके अलावा 'समुद्र तल की ऊंचाई' की मदद से ट्रेन के ऊपर लगे बिजली के तारों को एक समान ऊंचाई देने में भी मदद मिलती है। ताकि ट्रेन इन तारों से टच ना हो।

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