इंटरनेट डेस्क। वर्ष के सभी महीनों में, श्रावण मास (जुलाई-अगस्त) सबसे शुभ माना जाता है। इस महीने को भगवान शिव को प्रार्थना करने के लिए बहुत शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि सावन के दौरान भगवान शिव की पूजा सामान्य दिनों के दौरान पूजा करने से अधिक शक्तिशाली होती है। शिव भक्त इस महीने में अपने आराध्य देव को प्रसन्न करने के लिए उपवास रखते है, कांवड़ यात्रा निकालते है और शिवलिंग का अभिषेक करते है।

सावन का यह महीना वही समय है जब भगवान शिव ने देवों और असुरों के बीच हुए समुद्र मंथन से निकलने वाले जहर को पिया था। यह जहर उनके गले में रुका था और इसी वजह से शिव जी को नीलकंठ कहा जाता है।

शास्त्रों के अनुसार, सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है और चन्द्रमा इसका प्रतिनिधित्व करता है। ज्योतिष में चन्द्रमा को मन का प्रतीक माना जाता है और यही चन्द्रमा भगवान शिव के सिर पर विराजमान होता है। इसी वजह से सोमवार के दिन शिव जी की पूजा की जाती है और सावन के सोमवार का महत्व भी अधिक बढ़ जाता है। इस दिन लोग खासकर अविवाहित लड़कियां शिव जी को प्रसन्न करने के लिए उपवास रखती है।

सावन में सोमवार के व्रत को सावन सोमवार व्रत कहा जाता है। इस व्रत के दौरान शिव पूजा में लोग शिव मन्त्रों जैसे ॐ नमः शिवायः और महा मृत्युंजय मंत्र का जाप करते है और शिव पुराण का पाठ भी करते है। इस व्रत के दौरान अधिकतर लोग सिर्फ सफ़ेद कपडे ही पहनते है।

सावन के महीने में सोमवार के दिन व्रत करने से आपके आस पास से नकारात्मक ऊर्जा और बुरी शक्तियों का अंत होता है और आपको अच्छी सेहत भी प्राप्त करते है। सावन में व्रत करने का एक और कारण यह है कि इस महीने में शिव को प्रसन्न करना सबसे आसान होता है और ऐसा कर के आप अपनी सभी मनोकामनाओं को पूरा कर सकते है। यही कारण है कि लोग इस महीने में उपवास रखते है।

शिव पूजा करते समय आपको हमेशा पूर्व दिशा की तरफ मुख करते हुए बैठना चाहिए। इसके बाद दांये हाथ में पानी लेकर कोई भी मनोकामना करें और शिव जी का ध्यान करें। अब इस पानी को शिवलिंग पर चढ़ाएं। इसके बाद शिवलिंग पर पंचामृत चढ़ाएं और शिव मंत्रों का उच्चारण करें। इसके बाद शिवलिंग पर अक्षत, पवित्र धागा और बेलपत्र चढ़ाएं और शिवलिंग के सामने अगरबत्ती जलाएं। अंत में शिव जी को मिठाई चढ़ाएं और अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगे।

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