शादी से दो दिन पहले दूल्हा - दुल्हन को हल्दी लगाने की परंपरा सदियों पुरानी है। इसलिए हम भी इस परम्परा को मानते चले आ रहे है। लेकिन क्या कभी इस परम्परा के पीछे की कहानी हमने सोची है......... नहीं ना आज हम आपको सदियों पुरानी इस परंपरा के पीछे की कहानी बताने जा रहे है। हमारे हिन्दू
परम्परा के अनुसार शादी चाहें किसी भी समाज की लेकिन शादी की रस्मों में हल्दी लगाना जरुरी माना जाता है।

पीला रंग को माना जाता है पवित्र
भारतीय सभ्यता और पवित्र के हिसाब से शादी में हल्दी के पीले रंग को बेहद पवित्र माना जाता है।
मान्यता है कि नए जोड़े के लिए अपनी नई जिंदगी की शुरुआत करने के लिए से पीला रंग पवित्रता का आधार माना जाता है।


इसलिए शादी से ठीक दो दिन पहले दूल्हा-दुल्हन को हल्दी लगाई जाती है। कई धर्मो और संस्कृति के अनुसार शादी में फ़ेरे के समय दूल्हा-दुल्हन को पीले कपड़े ही पहनाए जाते है।
अपनी त्वचा पर निखार लाने के लिए
पुराने समय में जब ब्यूटी पार्लर - सलौन और कॉस्मेटिक ब्यूटी ट्रीटमेंट नहीं थे। उस समय शादी से पहले दूल्हा - दुल्हन की त्वचा पर निखार लाने के लिए हल्दी का इस्तेमाल किया जाता था। जिससे दूल्हा - दुल्हन की स्कीन में अच्छा निखार और ग्लो आ जाता था।

इसी के कारण चेहरे के साथ हाथ - पैर पर भी हल्दी लगाने की परंपरा है ताकि दूल्हा-दुल्हन शादी वाले दिन खूबसूरत लगें।
हल्दी में मौजूद औषधीय गुणों के साथ - साथ ऐंटिसेप्टिक की मात्रा भी हल्दी में पायी जाती है। इसे स्किन पर लगाने से स्किन पर किसी तरह के दाग-धब्बे
नहीं होते है और इसके साथ ही हल्दी दूल्हा - दुल्हन को किसी तरह के चोट या बीमारी से बचाने का काम भी करती है। इसलिए शादी की पवित्र रस्मों हल्दी की इस रस्म को भी शामिल किया जाता है।

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