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हिंदू धर्म में मौनी अमावस्या का विशेष महत्व है। मौनी अमावस्या का तात्पर्य माघ माह की अमावस्या से है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन व्यक्तियों को मौन रहने और नदियों में पवित्र स्नान करने की सलाह दी जाती है। चालू वर्ष में मौनी अमावस्या 9 फरवरी को है। पौराणिक परंपराओं के अनुसार, यह दिन ऋषि मुनि के जन्म का प्रतीक है, इसलिए "मौनी" शब्द "मुनि" शब्द से लिया गया है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन गंगा नदी का जल अमृत के समान पवित्र हो जाता है और गंगा जल में देवताओं का वास होता है। शास्त्रों के अनुसार चंद्रमा को मन का देवता माना जाता है और माना जाता है कि अमावस्या के दिन चंद्रमा के दर्शन न होने से मानसिक अशांति बढ़ती है। इसलिए मौनी अमावस्या के दिन मौन व्रत रखने की सलाह दी जाती है।

मौनी अमावस्या क्यों मनाई जाती है?
मौनी अमावस्या का धार्मिक और ज्योतिषीय दोनों ही महत्व है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, माघ माह के दौरान जब चंद्रमा और सूर्य मकर राशि में युति में होते हैं, तब मौनी अमावस्या मनाई जाती है। इस दिन चंद्रमा और सूर्य दोनों की संयुक्त ऊर्जा अत्यधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह दिन विभिन्न धार्मिक गतिविधियों और अनुष्ठानों के लिए समर्पित है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि मौनी अमावस्या पर अच्छे कार्य करने से कई गुना लाभ मिलता है।

मौनी अमावस्या पर होने वाले कार्य:

  • स्नान करके तिल, तिल के लड्डू, तिल का तेल, आंवला और वस्त्र का दान करें।
  • गरीबों, साधु-संतों और ब्राह्मणों को भोजन कराएं और ऊनी वस्त्र, कंबल आदि दान करें।
  • काले तिलों को गुड़ में मिलाकर लड्डू बनाएं और उन्हें लाल कपड़े में बांधकर दान करें।
  • वैवाहिक सुख की चाहत रखने वाली महिलाएं पीपल के पेड़ के नीचे भगवान विष्णु की पूजा करके विशेष पूजा कर सकती हैं।
  • पीपल के पेड़ की परिक्रमा करें, यह शुभ माना जाता है।
  • शास्त्रों के अनुसार मौनी अमावस्या के दिन नर्मदा, कावेरी, गंगा और सिंधु जैसी पवित्र नदियों में स्नान करना शुभ और पवित्र करने वाला माना जाता है।
  • बोलने या बहस में शामिल होने से बचें और घर में शांति और शांति का माहौल बनाए रखें।
  • इस दिन तेल का प्रयोग न करें और शरीर की मालिश करने से भी परहेज करें।
  • पूरे दिन ब्रह्मचर्य बनाए रखें और तामसिक (बासी या बचा हुआ) भोजन खाने से बचें।

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