दोस्तों आपको बात दे की हिंदू धर्म में वैदिक परंपरा के अनुसार गर्भधारण से लेकर मृत्योपरांत तक अनेक प्रकार के संस्कार किये जाते हैं। हांलाकि मृत्यु पर अंत्येष्टि को अंतिम संस्कार माना जाता है, लेकिन उसके बाद भी मृतक की संतति के द्वारा श्राद्ध कर्म करना मोक्ष प्राप्ति के लिए अनिवार्य कहा जाता है।

शास्त्रों के अनुसार दोस्तों आपको बात दे की श्राद्ध पक्ष को महालय और पितृ पक्ष के नाम से भी जाना जाता है। श्राद्ध का अर्थ अपने देवताओं, पितरों, परिवार, वंश के प्रति श्रद्धा प्रकट करना होता है। प्रतिवर्ष श्राद्ध को भाद्रपद माह की पूर्णिमा से लेकर आश्विन माह की अमावस्या तक मनाया जाता है। पूर्णिमा का श्राद्ध पहला और अमावस्या का श्राद्ध अंतिम होता है.

दोस्तों आपको बात दे की जिस हिन्दु माह की तिथि के अनुसार व्यक्ति मृत्यु पाता है उसी तिथि के दिन उसका श्राद्ध मनाया जाता है। आश्विन कृष्ण पक्ष के 15 दिन श्राद्ध के दिन रहते हैं। जिस व्यक्ति की तिथि याद ना रहे तब उसके लिए अमावस्या के दिन उसका श्राद्ध करने का विधान होता है।

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