भगवान शिव अपने पूरे शरीर पर क्यों लगाते हैं भस्म, क्लिक कर जानें कारण
भगवान शिव एक ऐसे देवता हैं जो भक्तों की सच्ची श्रद्धा और आस्था देकर उनपर इतने अधिक प्रसन्न हो जाते हैं कि उनका जीवन खुशियों से भर देते हैं.
गृहस्थ होते हुए भी भगवान शिव ने संसार से विरक्त होकर वैराग्य को धारण किया, समस्त संसार के प्राणियों को धन-धान्य, सुख-संपत्ति प्रदान करने और संसार के संहारक की भूमिका निभानेवाले भगवान शिव स्वयं अपने हाथों में त्रिशूल धारण करते हैं, भांग-धतूरे का सेवन करते हैं. अपने गले में सर्प को धारण करते हैं और तो और वो अपने पूरे शरीर पर भस्म लगाते हैं.
वैसे भगवान शिव के शरीर पर शोभा पाने वाले हर एक प्रतीक से संबंधित कोई ना कोई कहानी जुड़ी हुई है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान शिव अपने पूरे शरीर पर भस्म क्यों लगाते हैं और वो उन्हें इतना प्रिय क्यों है चलिए हम आपको बताते हैं इससे जुड़ी पौराणिक कथा.
पत्नी सती की मृत्यु से जब आहत हुए थे भगवान शिव
भगवान शिव अपने पूरे शरीर पर भस्म क्यों लगाते हैं इसका जिक्र शिवपुराण की एक कथा में मिलता है जिसके अनुसार भगवान शिव की पत्नी माता सती ने स्वयं को अग्नि में समर्पित कर दिया था, तब उनकी मृत्यु की खबर पाकर भगवान शिव अत्यधिक क्रोध और शोक के चलते अपना मानसिक संतुलन खो बैठे.
अपनी पत्नी की मृत्यु से आहत भगवान शिव उनके मृत शरीर को लेकर समस्त संसार में इधर-उधर भटकने लगे. सती के शव को लेकर कभी आकाश तो कभी धरती पर भटकते शिव को देखकर भगवान विष्णु काफी दुखी हुए और उन्होंने इसका शीघ्र से शीघ्र कोई हल निकालने की कोशिश की.
विष्णु के स्पर्श से सती का मृद देह हुआ था भस्म में तब्दील
आखिरकार भगवान विष्णु ने सती के मृत शरीर को स्पर्श करके उसे भस्म में बदल दिया. जिसके बाद अपने हाथों में पत्नी सती के भस्म को देखकर भगवान शिव और भी ज्यादा चिंतित हो गए और उन्हें लगा कि वो अपनी पत्नी को हमेशा के लिए खो चुके हैं.
अपनी पत्नी से अलग होने का दुख भगवान शिव के लिए सहना काफी मुश्किल हो रहा था लेकिन उनके पास उस समय माता सती के भस्म के अलावा और कुछ भी नहीं था. इसलिए उन्होंने उस भस्म को अपनी पत्नी की अंतिम निशानी मानते हुए अपने पूरे शरीर पर लगा लिया, ताकि सती भस्म के कणों के जरिए हमेशा उनके साथ ही रहें.
शिव के अनुसार भस्म ही है संसार का अंतिम सत्य
वहीं दूसरी पौराणिक कहानी के अनुसार भगवान शिव ने ऋषि-मुनियों और साधुओं को संसार और जीवन का वास्तविक अर्थ बताते हुए कहा था कि राख या भस्म ही इस संसार का अंतिम सत्य है. इंसान सभी तरह की मोहमाया और शारीरिक आकर्षण से ऊपर उठकर ही मोक्ष को प्राप्त कर सकता है.
बहरहाल भगवान शिव के शरीर का भस्म हर किसी को यही संदेश देता है कि मृत्यु के पश्चात हर इंसान का शरीर इसी राख में तब्दील हो जाता है और यही मानव जीवन का अंतिम सत्य है. भगवान शिव को राख या भस्म अत्यंत प्रिय है इसलिए उनकी पूजा में भस्म या राख का प्रयोग जरूर किया जाता है.