भगवान श्रीकृष्ण को 56 भोग क्यों अर्पित करते हैं, पढ़ें ये तीन रोचक कथाएं
हिंदू धर्मशास्त्रों में वर्णित कथा के मुताबिक, श्रीकृष्ण जब छोटे थे, तब माता यशोदा उन्हें 8 पहर भोजन कराती थीं। मतलब है कि श्रीकृष्ण बचपन के दिनों में 8 बार भोजन करते थे। एक बार इंद्र देव के प्रकोप से ब्रजवासियों को बचाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत ही उठा लिया था, तब लगातार 7 दिनों तक उन्होंने अन्न-जल ग्रहण नहीं किया।
जब 8वें दिन इंद्र की वर्षा बंद हो गई, तब भगवान श्रीकृष्ण ने सभी ब्रजवासियों को गोवर्धन पर्वत से बाहर निकल जाने को कहा। रोज 8 पहर भोजन करने वाले श्रीकृष्ण को 7 दिन तक भूखे रहना पड़ा था, इससे ब्रजवासियों और मैया यशोदा को बड़ा कष्ट हुआ। कन्हैया के प्रति श्रद्धाभक्ति दिखाते हुए ब्रजवासियों तथा माता यशोदा ने उन्हें 7 दिन और 8 पहर के हिसाब से 56 व्यंजनों का भोग बाल गोपाल को लगाया।
एक कथा यह भी है कि भगवान श्रीकृष्ण राधा जी के साथ गौलोक में दिव्य कमल पर विराजते हैं। उस कमल की 3 परतें होती हैं। इसके तहत प्रथम परत में 8, दूसरी में 16 और तीसरी में 32 पंखुड़ियां होती हैं। इस कमल की प्रत्येक पंखुड़ी पर एक प्रमुख सखी और मध्य में भगवान विराजते हैं। इस प्रकार कमल की कुल पंखुड़ियों की संख्या 56 होती है। अत: भगवान श्रीकृष्ण अपनी सखियों के साथ 56 भोग के साथ ही तृप्त होते हैं।
श्रीमद्भागवत कथा में वर्णित है कि एक बार गोपियों ने श्रीकृष्ण को पति रूप में पाने के लिए करीब एक माह तक यमुना में स्नान किया था। इतना ही नहीं गोपियों ने कात्यायिनी मां की पूजा-अर्चना की थी, जिससे उनकी मनोकामना पूरी हो सके। इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण ने उनकी मनोकामना पूरी कर दी। इस उपलक्ष्य में गोपियों ने भगवान श्रीकृष्ण को 56 भोग भेंट किया था।