जब व्यक्ति की मृत्यु होती है तो हिंदू समाज में कुछ विशेष नियमों के तहत उसका क्रियाक्रम किया जाता है। ठीक उसी तरह हिंदू धर्म में संध्या के बाद भी अंतिम संस्कार करने के लिए मनाही है। अंतिम संस्कार सुबह और दिन में ही किया जा सकता है।

इसके अलावा आपने देखा होगा कि मुर्दे के नाक में भी हमेशा रुई डाली जाती है। ये देख कर आपके मन में ये सवाल जरूर आया होगा कि भला मृत व्यक्ति की नाक, कान आदि में रुई क्यों डाली जाती है। इसी बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं।

इसके पीछे वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दोनों कारण है। वैज्ञानिक कारण के अनुसार किसी व्यक्ति की मौत हो जाने के बाद उसके कान और नाक से एक विशेष द्रव निकलता है। इस द्रव के बहाव को रोकने के लिए ऐसा किया जाता है। ऐसा इसलिए भी किया जाता है जिस से मृत्यु के बाद शरीर में किसी तरह की कोई बैक्टीरिया प्रवेश न कर जाए।

इसके अलावा इसके पीछे अत्याधमिक कारण भी है। गरुण पुराण के अनुसार शव के खुले हुए हिस्सों में सोने का कण (साधारण भाषा में तुस्स) रखे जाने की मान्यता है। इन्हें शरीर के नौ अंगो में रखा जाता है जिसमे नाक, कान, आंख, मुंह इत्यादि शामिल है। मृत शरीर के इन भागों में स्वर्ण रखने से उस देह की आत्मा को सद्गति मिलती है। नाक और कान के छेड़ अपेक्षाकृत बड़े होते हैं उनमे से वह तुस्स गिर न जाए इसी सावधानी के चलते रुई से द्वार को रोध कर दिया जाता है।

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