हम में से बहुत से लोग यही सोचते हैं कि मरने के बाद किसी के कर्म के हिसाब से उसे स्वर्ग या नर्क की प्राप्ति होती है। स्वर्ग और नर्क के बारे में भी गरुड़पुराण में भी जिक्र मिलता है। गरुड़ पुराण को सनातन धर्म में महापुराण माना गया है।

गरुड़ पुराण में जीवन-मृत्यु और मृत्यु के बाद तक की स्थितियों के बारे में बताया गया है। लेकिन ये स्वर्ग और नर्क की बातें कितनी सच है इस बारे में कोई जानकारी नहीं है।लेकिन गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने एक बात जरूर स्पष्ट की है कि आत्मा का कभी अंत नहीं होता। आत्मा सिर्फ शरीर को बदलती है। ऐसे में ये सवाल आता है कि जब किसी की मृत्यु हो जाती है तो आत्मा कहाँ जाती है? आइए जानते हैं।

सबसे पहले यमलोक जाती है आत्मा
गरुड़ पुराण के अनुसार मरने के बाद यमलोक से दो यमदूत आ कर आत्मा को साथ ले जाते हैं। यमदूतों के आते ही आत्मा शरीर छोड़ देती है और उनके साथ यमलोक चली जाती है। यमलोक में आत्मा 24 घंटे रहती है और उसे बताया जाता है कि उसने क्या बुरे और क्या अच्छे कर्म किए हैं? इसके बाद आत्मा को उसी घर में छोड़ दिया जाता है, जहां उसका जीवन बीता होता है। 13 दिनों तक आत्मा अपने परिजनों के साथ रहती है। जब किसी ने बुरे कर्म नहीं किए होते तो आत्मा को निकलने में परेशानी नहीं होती लेकिन जिसने बुरे कर्म किए हैं, उसे प्राण छोड़ते समय काफी पीड़ा का अनुभव होता है।

13 दिनों बाद ​तय होती है आगे की यात्रा
13 दिन पूरे करने के बाद आत्मा को फिर से यमलोक के रास्ते पर जाना होता है। वहां अलग अलग रस्ते होते हैं जैसे स्वर्ग लोक, पितृ लोक और नर्क लोक। व्यक्ति के कर्मों के आधार पर ये निर्धारित किया जाता है कि उसे किस मार्ग पर भेजा जाएगा। अपने पाप और पुण्य को निर्धारित समय तक भोगने के बाद आत्मा को फिर से शरीर मिलता है।

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