जबकि भारत और पाकिस्तान के बीच में ऐसा कुछ भी नहीं है कि इन दोनों के बीच में तुलना की जा सके। अब इसे आप ऐसे भी समझ सकते हैं कि एक डॉलर की रुपए में कीमत 78 रुपये है जबकि पाकिस्तानी रुपये की कीमत 205 रुपए है। इससे आसानी से समझा जा सकता है कि भारत, पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की तुलना में काफी मजबूत है और दोनों देशों के बीच में तुलना करने जैसी कोई भी चीज नहीं है।

यह बात आप तब और भी अधिक मानने लगे हैं जब आपको यह मालूम चलेगा कि आजादी के कुछ समय बाद तक तो पाकिस्तान के रुपये भारत का रिजर्व बैंक ही छापता था। ऐसे में आप खुद सोचिए जिसके नोट आपका देश छाप रहा हो और जिसकी अर्थव्यवस्था आपके देश से कई गुना पीछे हो उससे तुलना करना कहां तक जायज है?


पाकिस्तानी में चलता था भारतीय रुपया

एक समय था जब पाकिस्तान के नोट भारत में छपते थे। पाकिस्तान को आजादी 14 अगस्त 1947 को मिली थी और भारत को आजादी 15 अगस्त 1947 को मिली थी। आजादी मिलने के बाद मार्च 1948 तक पाकिस्तान में भारतीय नोट ही चलते थे।


आरबीआई छापने लगा पाकिस्तान की करेंसी

फिर 1 अप्रैल 1948 से पाकिस्तान में चल रहे सारे भारतीय करेंसीज़ को बंद कर दिया गया। सभी तरह के नोटों के सर्कुलेशन को बंद कर दिया गया। इन रुपयों के स्थान पर भारत सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक ने 1 अप्रैल 1948 से पाकिस्तान सरकार के लिए अलग से नोट छापने शुरू किये। ये नोट स्पेशली पाकिस्तान के लिए छापे गए थे और इनका प्रयोग केवल पाकिस्तान में ही हो सकता था।

आरबीआई गवर्नर करते थे साइन

पाकिस्तान के लिए यह नोट नासिक स्थित सिक्युरिटी प्रेस में छपते थे। नोटों पर आरबीआई के गवर्नर साइन करते थे जिस पर अंग्रेजी व उर्दू में गवर्नमेंट ऑफ पाकिस्तान और हुकूमत-ए-पाकिस्तान लिखा होता था। तब आरबीआई 1,5,10 और 100 रुपये के पाकिस्तानी नोट छापता था।


1953 से पाकिस्तान में छपने शुरू हुए पाकिस्तान के नोट

पाकिस्तान की सरकार ने 1953 से अपने लिए नोट छापने शुरू किए। इसी साल पाकिस्तान के सेंट्रल बैंक स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) ने देश में खुद नोट छापना शुरू किया था। धीरे-धीरे करके पाकिस्तान ने इस साल के अंत तक सभी नोटों की जिम्मेदारी ले ली और वहां के सेंट्रल बैंक स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ने सभी नोट छापने शरू किए। केवल 1 रुपये का नोट पाकिस्तान सरकार 1980 तक छापती रही।

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