विश्व में भारतीय रेल नेटवर्क दुनिया का चौथा सबसे बड़ा नेटवर्क है। रोजाना करोड़ों की संख्या में लोग इस से सफर करते हैं। लेकिन कोरोना के कारण कई ट्रेनें बंद है और सफर करने वालों की संख्या में भी भारी गिरावट देखने को मिल रही है। लेकिन जब हालात सामान्य होंगे तो फिर यात्रियों की आवाजाही देखने को मिलेगी।

पटरियों को जोड़ते वक्त छोड़ दिया जाता है गैप
भारतीय रेल पूरी तरह से वैज्ञानिक और तकनीकी आधार पर चलती है। इसी के साथ हम आपको इस बारे में जानकारी देने जा रहे हैं। यदि आपने रेलवे ट्रैक देखे होंगे तो ये भी ध्यान दिया होगा कि थोड़ी-थोड़ी दूरी पर पटरियों को फिश प्लेट की मदद से जोड़ा जाता है, जहाँ जहाँ इन प्लेट्स को जोड़ा जाता है, वहां-वहां दो पटरियों के बीच में एक गैप दिखाई देता है। इस कारण लोगों को लगता होगा कि इस से बड़ा हादसा हो सकता है लेकिन आपको जानकारी के लिए बता दें कि ऐसा कुछ भी नहीं होगा।


पटरियों के बीच गैप छोड़ने के पीछे क्या है कारण
पटरियों के बीच में इस तरह के गैप इसलिए छोड़ा जाता है क्योकिं भीषण गर्मी के समय लोहे से बनी पटरियां ट्रेनों के भार की वजह से फैलने लगती है जबकि सर्दियों में ये सिकुड़ जाती है। लोहे के इसी व्यवहार को देखते हुए पटरियों को जोड़ते वक्त थोड़ी जगह छोड़ दी जाती है ताकि गर्मी के समय में जब ये पटरियां ट्रेन के वजन से फैलें तो इन्हें फैलने के लिए पर्याप्त जगह मिल सके। लेकिन अगर पटरियों को फैलने के लिए जगह नहीं मिले तो ऐसे में वह क्रैक होकर टूट सकती है। लेकिन अब पटरियों के बीच इस तरह के गैप को कम किया जा रहा है और इन्हे वेल्डिंग के जरिए जोड़ा जा रहा है। हालांकि, पटरियों को थोड़ी-थोड़ी दूरी पर अभी भी पूरी तरह से नहीं जोड़ा जा रहा।

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