महिलाओं के साड़ी पहनने के पीछे क्या है इतिहास, जानिए इसके पीछे की रोचक बात
भारतीय संस्कृति में साड़ी ऐसा परिधान है, जो भारत के अधिकांश राज्यों में पहना जाता है, भारत में अधिकतर महिलाये आपको साड़ी में नज़र आएगी , भारत में साड़ी को पारंपरिक वेशभूषा के रूप में देखा जाता है, साड़ी का उल्लेख वेदों में मिलता है। यजुर्वेद में साड़ी शब्द का सबसे पहले उल्लेख मिलता है। दुसरी तरफ ऋग्वेद की संहिता के अनुसार यज्ञ या हवन के समय स्त्री को साड़ी पहनने का विधान भी है।
भारतीय साड़ी का उल्लेख पौराणिक ग्रंथ महाभारत में भी मिलता है जहां, साड़ी को आत्मरक्षा का प्रतीक माना गया था। महाभारत के अनुसार जब दुर्योधन ने द्रौपदी को जीतकर उसकी अस्मिता को सार्वजनिक चुनौती दी थी। तब श्रीकृष्ण ने साड़ी की लंबाई बढ़ाकर द्रौपदी की रक्षी की थी।
यदि देखें साड़ी प्राचीन काल से चली आ रही है। जिसमें रीति रिवाज के अनुसार साड़ी पहनी जाती है। विवाहित महिला जहां रंगीन साड़ी पहनती है वहीं विधवा महिलाएं सफेद रंग की साड़ी पहनती हैं। इस तरह से देखा जाए, भारत में साड़ी का इतिहास अलग ही है, जिसमें भारतीय संस्कृति व परंपरा का संगम देखा जा सकता है और यह संगम पौरणिक काल से वर्तमान समय तक बना हुआ है।