देश में मेडिकल ऑक्सीजन कमी, हवा और मेडिकल ऑक्सिजन में क्या है अंतर , जाने
कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज की हालत काफी गंभीर हो जाती है। ऐसे में उनको अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ता है वहां उनकी गंभीर स्थिति को देखते हुए ऑक्सीजन देनी पड़ती है। लेकिन कुछ दिनों से हर हस्पताल में मेडिकल ऑक्सिजन की कमी आ रही है। वैसे ऑक्सीजन के बारे में सुना तो सभी ने होगा मगर बहुत ही कम लोगों को पता होगा कि ये मेडिकल ऑक्सीजन और हवा वाली ऑक्सीजन दोनों अलग अलग है।
तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि आखिर क्या होती है ये मेडिकल ऑक्सीजन, कैसे बनती है और आखिरी समय में मरीज की जान बचाने के लिए कैसे किया जाता है इस्तेमाल।
बात करे मेडिकल ऑक्सिजन में 98 प्रतिशत तक शुद्ध ऑक्सिजन होती है। इसमें नमी, धूल या दूसरी गैस जैसी अशुद्धियां नहीं होतीं। 2015 में देश की अति आवश्यक दवाओं की सूची में ऑक्सिजन को शामिल किया गया। डब्ल्यूएचओ ने भी जरूरी मेडिसिन में ऑक्सिजन को जोड़ा है। वातावरण में मौजूद हवा में सिर्फ 21 प्रतिशत तक ऑक्सिजन होती है, लिहाजा मेडिकल इमरजेंसी में इसका यूज नहीं कर सकते। तभी मेडिकल ऑक्सिजन को लिक्विड फॉर्म में विशेष वैज्ञानिक ढंग से बड़े-बड़े प्लांट में तैयार किया जाता है।