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वजन घटाने के लिए उचित आहार के साथ वर्कआउट करना जरूरी माना जाता है। इसके लिए लोग अलग-अलग तरह की स्ट्रिक्ट डाइटिंग भी करते हैं। इंटरमिटेंट फास्टिंग में 8 घंटे तक खाने और 16 घंटे के फास्टिंग का एक पैटर्न शामिल होता है, जिसके दौरान पानी, नींबू पानी, नारियल पानी, चाय और कॉफी जैसे तरल पदार्थों के सेवन की अनुमति होती है। इंटरमिटेंट फास्टिंग को वजन घटाने के लिए काफी कारगर माना गया है, लेकिन इसके फायदे हैं तो कुछ नुकसान भी होते हैं।

इंटरमिटेंट फास्टिंग करने के लिए सही तरह से फूड प्लानिंग करना बेहद जरूरी होता है। वहीं इन सब के साथ टाइम मैनेजमेंट भी काफी मैटर करता है, क्योंकि इसमें एक फिक्स टाइम पर खाना खाया जाता है। शुरूआत में खाने की अवधि ज्यादा रखी जा सकती हैं और फास्ट की टाइमिंग कम रख सकते हैं। लोग 12 घंटे से 16 घंटे तक की फास्टिंग करते हैं। इंटरमिटेंट फास्टिंग के दौरान अगर कुछ बातों को ध्यान में न रखा जाए तो इससे सेहत को नुकसान हो सकता है.

इंटरमिटेंट फास्टिंग के फायदे

कैलोरी में कमी: इंटरमिटेंट फास्टिंग से कैलोरी की मात्रा में कमी आती है, जिससे यह वजन घटाने के लिए प्रभावी हो जाता है।

मेटाबॉलिज्म बूस्ट: उपवास मेटाबॉलिज्म को बढ़ावा देने में मदद करता है और कोलेस्ट्रॉल के स्तर और ट्राइग्लिसराइड्स को मैनेज करने में योगदान देता है।

तेजी से वजन बढ़ना: लंबे समय तक रुक-रुक कर उपवास करने से सामान्य भोजन फिर से शुरू होने पर तेजी से वजन बढ़ सकता है।

उच्च रक्तचाप और पाचन संबंधी समस्याएं: लंबे समय तक उपवास करने से उच्च रक्तचाप और पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।

पोषक तत्वों की कमी: इंटरमिटेंट फास्टिंग की योजना सही से नहीं बना पाने के परिणामस्वरूप पोषक तत्वों की कमी हो सकती है।

मधुमेह रोगियों पर प्रभाव: टाइप 1 और टाइप 2 मधुमेह वाले व्यक्तियों को लंबे समय तक उपवास न करने की सलाह दी जाती है।

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