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घर में किसी भी चीज का निर्माण करवाते समय वास्तु का ध्यान जरूर रखना चाहिए। उसी प्रकार घर के अंदर मंदिर बनवाते समय भी दिशाओं का विशेष ध्यान रखना चाहिए। वास्तु शास्त्र घर में घर में मंदिर बनवाने के भी नियम बताए गए हैं। साथ ही पूजा अनुष्ठानों, देवताओं की मूर्तियों की स्थापना, प्रसाद आदि के संबंध में दिशानिर्देश भी देता है। आइए इनके बारे में जानें:

देवता की मूर्ति की दिशा और आकार:

मंदिर पूर्व या उत्तर दिशा में ही बनवाना चाहिए। घर में शिव लिंग रखा जाए तो वह अंगूठे से बड़ा नहीं होना चाहिए। लेकिन अगर ये बड़ा है तो घर के बाहर सुथरी जगह पर अलग से मंदिर बनाना चाहिए। प्रार्थना क्षेत्र में कोई भी मूर्ति 6 इंच से अधिक लंबी नहीं होनी चाहिए।

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भोग
किसी भी देवता को भोग लगाना अत्यंत आवश्यक है। भोजन देवताओं को अर्पित करने के बाद ही ग्रहण करना चाहिए। प्रसाद की मात्रा मूर्तियों के आकार पर निर्भर करती है। हमारे घरों में स्थापित छोटी मूर्तियों के लिए, चढ़ाए जाने वाले भोजन की मात्रा उतनी ही होती है जितनी कोई व्यक्ति नियमित भोजन में खाता है।

पूजा:

कोई भी देवता बिना पूजा के नहीं रहना चाहिए। प्रार्थना क्षेत्र में प्रत्येक देवता की पूजा उनके संबंधित अनुष्ठानों के अनुसार की जानी चाहिए। तामसिक और सात्विक देवताओं को एक साथ नहीं रखना चाहिए। उदाहरण के लिए, भैरव, प्रत्यंगिरा या काली जैसे उग्र देवताओं को भगवान राम या भगवान कृष्ण जैसे सात्विक देवताओं के साथ नहीं रखा जाना चाहिए।

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