क्या आपके साथ भी ऐसा हो रहा है जी दिन रात मेहनत करने के बाद भी आपको तरक्की नहीं मिल रही है आपके परिश्रम में कोई कमी नहीं होने के बाद भी आपको मेहनत के अनुसार फल नहीं प्राप्त हो रहा है। तो यह बात निश्चित है कि आपके प्रतिष्ठान में किसी तरह का वास्तु दोष है जो आपकी तरक्की में बाधा बना हुआ है जिस तरह हमारे घर के लिए कई तरह के वास्तु नियम होते हैं उसी तरह प्रतिष्ठान के लिए भी वास्तु शास्त्र में कई तरह के वास्तु नियम बताए गए हैं आइए इस लेख के माध्यम से आपको बताते हैं प्रतिष्ठान से जुड़े वास्तु नियमों के बारे में जिनका ध्यान रखकर आप अपने प्रतिष्ठान से वास्तु दोष को दूर कर सकते हैं। आइए जानते है विस्तार से -

* यदि आप अपने प्रतिष्ठान के लिए दुकान का निर्माण करवा रहे हैं तो दुकान के पूर्व दिशा में मुख्य द्वार बनवाएं। अपनी दुकान में पश्चिम से पूर्व की ओर तथा दक्षिण से उत्तर की ओर फर्श का ढलान रखना चाहिए।

* अपने लिए दुकान का निर्माण करवाते समय इस बात का खास ध्यान रखें कि यहां पर किसी भी तरह का चबूतरा नहीं बनवाना चाहिए और फर्श पर भी नहीं बैठना चाहिए बैठने के लिए आपको कुर्सी का प्रयोग करना चाहिए।

* अपने प्रतिष्ठान में बैठने के लिए इस बात का खास ध्यान रखें कि किसी भी स्थिति में ईशान कोण यानी उत्तर और पूर्व तथा वाह विदिशा की ओर आसीन नहीं होना चाहिए।

* यदि आपके लिए संभव हो सके तो अपने प्रतिष्ठान में नेतृत्व दिशा ज्ञान या दक्षिण और पश्चिम दिशा में मैच का प्रबंध कर पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके आसीन हो सकते हैं। और यदि आप बैठने के लिए फर्ज का इस्तेमाल करना चाहते हैं तो फर्श पर पहले एक मोटी गद्दी उस पर बैठ सकते हैं।

* यदि आप एक व्यापारी है तो आपको आग ने कौन यानी पूर्व दक्षिण के मध्य भाग में पूर्वी दीवार की सीमा को स्पर्श किए बिना दक्षिणा गने की दीवार से सटकर उत्तर की ओर मुंह करके बैठना चाहिए और दुकान का कैशबॉक्स हमेशा दाएं तरफ होना चाहिए।

* यदि आप की दुकान दक्षिण सिंहद्वार वाली है तो आपको दुकान में आग ने वाले और ईशान दिशाओं में बैठकर व्यापार कभी भी नहीं करना चाहिए।

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