देश भर में चीनी सामान के बहिष्कार की दिशा में भारत ने एक कदम और आगे बढ़ा दिया है, भारत मे इस साल मेड इन इंडिया राखियां ही बेची जाएंगी। इससे न सिर्फ चीन को आर्थिक नुकसान पहुंचेगा बल्कि लॉकडाउन में नौकरी खो चुके लोगों को रोजगार भी मिल रहा है।



रक्षा बंधन के त्यौहार पर भारत ने आत्मनिर्भर बनने की तैयारी कर ली है, बड़े पैमाने पर तैयार की जा रही ये राखियां पूरी तरह से मेड इन इंडिया हैं। भारत में इस साल चाइनीज राखियां ना ही खरीदी जाएंगी और ना ही बेची जाएंगी। इसके लिए खास तौर पर देश के अलग-अलग शहरों में उन लोगों को राखियां बनाने की ट्रेनिंग दी जा रही है जिनका रोजगार लॉकडाउन में छूट गया है जिसमें दिहाड़ी मजदूर से लेकर ग्रामीण महिलाएं शामिल हैं।

चीनी राखियों के बहिष्कार के लिए कन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स के देश भर के व्यापारियों ने तय किया है कि इस साल भारत में ना तो चीन की राखियां आएंगी और ना ही राखियां बनाने का सामान आएगा, भारत में हर साल रक्षा बंधन के त्यौहार पर चीन को करीब 4000 करोड़ रुपये का व्यापार मिलता है जो कि इस बार पूरी तरह से भारत के लोगों को ही मिलेगा।

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