हम में से कई लोग कई खास सिक्कों को संभाल कर रखते हैं। इन्ही में एक रुपए का नोट भी आता है। ये नोट अब आसानी से नहीं मिलते हैं। लेकिन इन नोटों से पहले एक रुपए के जो सिक्के प्रचलन में थे उसकी काफी वैल्यू थी।

पहले एक रुपये के सिक्के में चांदी भी लगी होती थी, जिससे इसकी वैल्यू काफी ज्यादा होती थी। ऐसे में अगर आप इन्हे व्यापारी के पास जाए तो आपको इसके 700 गुना पैसे दे सकता था। सिक्कों में जितनी ज्यादा चांदी होती थी उतनी ही इनकी वैल्यू होती थी। इसी कारण कागज के एक रुपए के नोट प्रचलन में आए।


उस समय भारत में एक रुपए के सिक्के में 10.7 ग्राम चांदी होती थी। इसकी जगह फिर कागज से नोट बनाने जाए लगे। प्रथम विश्व युद्ध में हथियार बनाने के लिए सिक्के काम में लिए गए थे। अगर आज के हिसाब से उस सिक्के की चांदी की वैल्यू लगाएं तो उस वक्त के एक रुपये के सिक्के में 700 रुपये की चांदी लगी होती थी।

एक रुपए का नोट 30 नवंबर, 1917 को लॉन्च किया गया था। ये इंग्लैंड में छपता था और सफेद रंग का था। इसके बाद इसमें कई बदलाव हुए और साल 2017 में इस नोट के 100 साल होने तक इस नोट में 125 बार बदलाव किया गया था।

साल 1926 में एक रुपए के नोट को जारी करना बंद कर दिया गया था लेकिन, 1940 में एक रुपए का नोट फिर मार्केट में आया, जो 1994 तक चलता रहा। 1994 में भारत सरकार ने इन्हे फिर जारी करना बंद कर दिया और ये रोक 2014 तक चली। 1 जनवरी 2015 से फिर से एक रुपए के नोट की छपाई शुरू हुई।

क्यों बाकी नोटों से है अलग?
एक रुपये का नोट रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया नहीं छापता है।एक रुपये का नोट भारत सरकार छापती है। इस बार RBI गवर्नर के सिग्नेचर नहीं होते हैं बल्कि वित्त सचिव के सिग्नेचर होते हैं।

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