यह बात किसी से छुपी नहीं है कि देश के आजाद होने तक अंग्रेज भारत को लूटते रहे। देश का धन जल मार्गों के जरिए ब्रिटेन ढोया जा रहा था। अंग्रेजों ने कारोबार के जरिए अपने इस लूट को तेज करने के लिए रेलवे लाइन बिछाने का काम शुरू किया। अंग्रेज बड़े चालाक थे, वे इंग्लैंड का पैसा भारत में निवेश नहीं करना चाहते थे। इसके लिए बड़ी चालाकी से काम लिया।

उन दिनों ब्रिटीश सरकार भारतीय राजाओं से करोड़ों रुपए बिना किसी ब्याज के ​कर्ज लिया करती थी। अंग्रेज हमारे ही देश को लूटकर धनी बनते जा रहे थे, बिना ब्याज के राजाओं से कर्ज लेते रहे। इसी क्रम में जब मध्यप्रदेश के अन्दर रेल लाइन बिछाने का काम शुरू हुआ तब इंदौर के महाराजा तुकोजीराव होल्कर द्वितीय ने अंग्रेंजों को 101 साल के लिए 4 फीसदी ब्याज पर एक करोड़ रूपए का कर्ज दिया था।

1870 में इंदौर के अंदर रेल लाइन बिछाने का काम शुरू हुआ और 1877 तक पूरा हो गया। इतना ही नहीं रेल लाइन बिछाने के लिए तुकोजी राव ने जमीन भी फ्री में दी थी। इस बात पर हम भारतीयों को गर्व करने की जरूरत नहीं है, बल्कि यह सोचने की जरूरत है कि किस तरह से अंग्रेजों ने हमें बेवकूफ बनाने का काम किया।

सोचने वाली बात यह है कि अंग्रेजों ने भारत के पैसों से ही रेल लाइन बिछाई और इसी रेल लाइन की बदौलत देश का सारा धन अपने देश लेकर चले गए। अंग्रेज जितना धन राजाओं से कर्ज लिया करते थे, उसे कुछ ही महीनों में अदा भी कर देते थे। इतना ही नहीं, जो जमीन देश के किसानों के काम आती थी, उसे हमारे देश के राजा अंग्रेजों को फ्री में दे देते थे। अंग्रेज इसी जमीन के जरिए भारत को लूटने का काम कर करते रहे।

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