आज भी हमारे देश में प्रेम विवाह को एक सिरे से स्वीकार नहीं किया जाता है। यहां तक कि गांव और कस्बों में प्रेम विवाह को अपमान समझा जाता है। प्रेम विवाह को जल्दी पारिवारिक स्वीकृति भी नहीं मिलती है। कहीं-कहीं प्रेम विवाह को लेकर ऑनर किलिंग के मामले भी सामने आते हैं। प्राचीन धर्म ग्रंथों के अनुसार, दो स्त्रियों ने ना केवल प्रेम विवाह किया था, बल्कि उनके द्वारा अपने पतियों के हरण की बात भी सामने आती है। आइए जानें, उन स्त्रियों के बारे में जिन्होंने प्रेम विवाह के लिए अपने पतियों का हरण किया था।

1- रुक्मिणी
राजा भीष्मक की इकलौती पुत्री रुक्मिणी भगवान कृष्ण से प्रेम करती थीं और वह उनसे प्रेम विवाह करना चाहती थी। जबकि भीष्मक के चारो पुत्र श्रीकृष्ण से नफरत करते थे। भीष्मक के पुत्र अपनी बहन की शादी शिशुपाल से करना चाहते थे। इसलिए रुक्मिणी का विवाह शिशुपाल के साथ तय कर दिया गया।

ऐसे में रुक्मिणी ने एक ब्राह्मण के जरिए श्रीकृष्ण को यह संदेश भिजवाया कि वह शिशुपाल से विवाह नहीं करना चाहती हैं। इसलिए विवाह के दौरान जब वह कुल देवी के मंदिर में जाएंगी तो भगवान श्रीकृष्ण वहां से उनको ले जाएं। जब भगवान श्रीकृष्ण रुक्मिणी को लेने कुल देवी के मंदिर पहुंचे तो उन्होंने कहा कि रथ तुम्हे चलाना होगा। ऐसे में तुम्हारे भाई मुझ पर अपहरण का इल्जाम नहीं लगा पाएंगे और युद्ध टल जाएगा। इस तरह भगवान श्रीकृष्ण की बात मानकर रुक्मिणी ने रथ चलाया। इसके बाद इन दोनों के बीच विवाह संपन्न हो सका।

2- सुभद्रा
सुभद्रा अर्जुन से प्रेम करती थीं, जबकि उनके भाई बलराम सुभद्रा का विवाह अपने शिष्य दुर्योधन से करना चाहते थे। विवाह के दौरान श्रीकृष्ण ने अर्जुन का रथ सुभद्रा को हांकने के लिए कहा। इसके बाद सुभद्रा ने ठीक वैसा ही किया। जब सुभद्रा हरण की बातें फैली तो बलराम और दुर्योधन अर्जुन से युद्ध करने को तैयार हो गए। ऐसे में प्रत्यक्षदर्शी सैनिकों ने कहा कि रथ की सारथी तो सुभद्रा थी। ऐसे में एक बड़ा युद्ध टल गया। बलराम को यह विवाह स्वीकार करना पड़ा।

गौरतलब है कि भारतीय समाज में रुक्मिणी और सुभद्रा का प्रेम विवाह बड़े आदर के साथ याद किया जाता है। इन स्त्रियों ने भले ही अपने पतियों का हरण किया लेकिन इनका सम्मान आज भी सुरक्षित है।

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