दुनिया के हर देश, शहर, गांव का अपना इतिहास होता है। ​आप जिस शहर में रहते हैं, उसका भी कोई ना कोई इतिहास जरूर होगा, बस आपके जिज्ञासु होने की जरूरत है।
इस स्टोरी में हम आपको एक ऐसे शहर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका जिक्र रामायण-महाभारत के काल में भी मिलता है। जी हां, दक्षिण भारत में बसे इस शहर का नाम धनुषकोडी है। रामायण में धनुषकोडी का जिक्र मिलता है।

बता दें कि रामेश्वरम से यह लगभग 15 किमी की दूरी पर स्थित है। श्रीलंका के तलाईमन्नार से इसकी दूरी 29 किलोमीटर है। श्रीलंका और भारत के बीच यह इकलौती स्थलीय सीमा है।
मात्र 45 मीटर में फैला यह शहर दुनिया के सबसे छोटे स्थानों में से एक है। 22 दिसम्बर 1964 की रात यहां 270 किलोमीटर/घंटे की गति से एक भयानक चक्रवात आया, इस तूफान ने धनुषकोडी को बर्बाद कर दिया था। इस प्राकृतिक आपदा में केवल धनुषकोडी में 800 लोगों की मौत हुई थी। इस चक्रवात से पहले धनुषकोडी में फेरी सेवाएं, मंदिर, धर्मशालाएं, पोस्ट ऑफिस, छोटा अस्पताल जैसी कई सुविधाएं मौजूद थीं।

अब सूर्यास्त के बाद इस शहर में कोई नजर नहीं आता है। कभी तमिलनाडु सरकार ने इस शहर को घोस्ट टाउन घोषित किया था। अब आप सोच रहे होंगे कि इस शहर का भगवान राम से क्या कनेक्शन है?
जी हां, बता दें कि भगवान राम ने भारत से श्रीलंका जाने के लिए जब पुल का निर्माण करवाया, तब उन्होंने अपनी धनुष से पुल की शुरुआत करने के लिए यहां निशान बनाया था।

इसी वजह से इस जगह का नाम धनुषकोडी पड़ गया। यदि आज के समय में आप धनुषकोड़ी जाएंगे तो आपको यहाँ खंडहर ही मिलेंगे। 1964 के चक्रवात से पहले बोट मेल एक्सप्रेस चेन्नई से एग्मोर होते हुए धनुषकोड़ी तक आती थी, चक्रवात के चलते धनुषकोडी की मीटर-गेज ब्रांच लाइन तहस-नहस हो गई।

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