भगवान विष्णु के अवतार श्रीराम को भी एक अप्सरा से श्राप मिला था, जिसके चलते कृष्णावतार में उनकी मृत्यु हुई। आइए जानें, रामायण की यह रोचक कहानी। देवराज इंद्र का पुत्र वानर राज बाली किष्किंधा का राजा था। वानर राज बाली को यह वरदान था कि युद्ध के उद्देश्य से जो भी योद्धा उसके सामने आएगा, उसकी आधी शक्ति बाली में समा जाएगी। ऐसे में शक्तिशाली बाली ने अपने छोटे भाई सुग्रीव की पत्नी रोमा और उसकी संपत्ति हड़पकर उसे राज्य से बाहर निकाल दिया था।

इसके बाद सुग्रीव और श्रीराम की मित्रता के पश्चात श्रीराम ने सुग्रीव से बाली पर आक्रमण करने को कहा। इस युद्ध में श्रीराम ने छुपकर बाली पर तीर चला दिया और वह मारा गया। प्राण त्यागते वक्त वानर राज बाली ने अपने पुत्र अंगद को तीन महत्वपूर्ण शिक्षाएं दी थीं।

पहली शिक्षा- हमेशा देश, काल और परिस्थितियों को समझकर ही कार्य करना।
दूसरी शिक्षा- किसके साथ कब, कहां और कैसा व्यवहार करें, इसका सही निर्णय लेना।
तीसरी शिक्षा- पसंद-नापसंद, सुख-दु:ख को सहन करना और क्षमाभाव के साथ जीवन व्यतीत करना। यही जीवन का सार है।

वानर राज बाली की मृत्यु के पश्चात उसकी पत्नी तारा अत्यंत दुखी हुई थी। बता दें समुद्र मंथन के दौरान अप्सरा तारा को बाली ने स्वीकार कर लिया था। जब वानर राज बाली मारा गया, तब तारा ने श्रीराम को श्राप दिया। तारा ने श्रीराम से कहा कि अपनी पत्नी को पाने के बाद भी उसे खो देंगे। इतना ही नहीं अगले जन्म में तुम्हारी मृत्यु मेरे पति द्वारा ही होगी।

गौरतलब है कि द्वापर युग में कृष्णावतार के समय जरा नामक एक बहेलिए ने जंगल में विश्राम कर रहे श्रीकृष्ण को हिरन समझकर तीर चला दिया था, जिससे उनकी मृत्यु हुई थी।

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