दोस्तों, आपको जानकारी के लिए बता दें कि सूर्य पुत्र शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए अधिकांश लोग शनिवार के दिन शनि मंदिर में जाकर पूजा-अर्चना करते हैं। इस स्टोरी में हम आपको कुछ ऐसे लोगों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो कभी शनिदेव की पूजा नहीं करते हैं, फिर भी शनिदेव उन पर मेहरबान रहते हैं।

- आपको बता दें कि शनिदेव अपनी बुरी नजर शिव भक्तों पर कभी नहीं डालते हैं। क्योंकि शनिदेव के गुरू हैं भगवान भोलेनाथ। भगवान महादेव ने ही शनिदेव को नवग्रहों का न्यायधीश बनाया।

- सूर्यदेव ने श्राप देकर शनिदेव के घर को भस्म कर दिया था। फिर शनिदेव ने तिल से सूर्य की उपासना कर उन्हें प्रसन्न किया। मान्यता है कि तभी से सूर्य और शनिदेव को तिल से प्रसन्न करने की परंपरा शुरू हुई।

- पौराणिक कथाओं के अनुसार हनुमान जी ने शनिदेव के गर्व को चूर किया था। इसके बाद शनिदेव ने हनुमान जी को यह वचन दिया था कि वह उनके भक्तों को कभी कोई पीड़ा नहीं देंगे। इसलिए हनुमान जी के आगे क्रूर ग्रह कभी भी टिक नहीं पाते हैं।

- ब्रह्मपुराण में वर्णित है​ कि कृष्ण भक्त शनिदेव की शादी उनके पिता सूर्यदेव ने चित्ररथ कन्या से कर दिया था। लेकिन वह विवाह के बाद भी स्त्रीगमन से दूर रहे जिसके कारण शनि पत्नी ने क्रुद्ध होकर इनकी दृष्टि को शापित कर दिया। तब से शनि पत्नी के नाम मंत्र जाप से वह हमेशा प्रसन्न रहते हैं।

- शनिदेव का एक नाम कृष्ण दास भी है। अत: जो लोग भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करते हैं उनका शनिदेव कुछ भी अनिष्ट नहीं कर पाते हैं।

- पीपल वृक्ष की पूजा करने से शनिदेव के कष्टों से हमेशा के लिए मुक्ति मिल जाती है।

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