गोस्वामी तुलसीदास कृत हनुमान चालीसा में वर्णित इस पंक्ति से सभी परिचित हैं-
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बार दीन जानकी माता।।

इसका मतलब है कि माता सीता ने प्रसन्न होकर हनुमान जी को आठ सिद्धियां और नौ निधियों का वरदान दिया था। श्रीरामचरितमानस के मुताबिक, देवी सीता ने श्रीराम भक्त हनुमान जी को वरदान दिया था कि वे सिद्धियों और नौ निधियों के स्वामी होंगे। हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार, हनुमान जी भगवान शिव के रूद्रावतार हैं।

वहीं देवी सीता लक्ष्मी, लक्ष्मण जी शेषनाग तथा श्रीराम भगवान विष्णु के अवतार हैं। बता दें कि ये वही आठ सिद्धियां हैं, जिनकी बदौलत हनुमान जी समुद्र लांघ गए थे। तथा लंका को तहस—नहस किया था। मेघनाद की शक्ति लगने पर संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण के प्राण बचाए थे। ऐसी मान्यता है कि यदि हनुमान जी अपने भक्तों पर प्रसन्न होकर, उन्हें भी ये सिद्धियां प्रदान कर सकते हैं। आइए जानें, इन अष्ट सिद्धियों के बारे में।
1. अणिमा – इस सिद्धि के द्वारा कोई भी अपने शरीर बहुत ही छोटा बना सकता है।
2. महिमा – दुष्कर कार्यों को आसानी से पूरा करने के लिए महिमा सिद्धि के द्वारा शरीर को विशालकाय बनाया जा सकता है।

3. लघिमा – इस सिद्धि से शरीर को छोटा करने के साथ—साथ बिल्कुल हल्का भी किया जा सकता है।
4. गरिमा – गरिमा के जरिए शरीर का वजन बढ़ाया जा सकता है। अध्यात्म के दृष्टिकोण से इससे अहंकार दूर करने की शक्ति मिलती है।
5. प्राप्ति– इस सिद्धि के जरिए दृढ़ मनोबल और इच्छाशक्ति के जरिए मनचाही चीजें प्राप्त की जा सकती हैं।
6. प्राकाम्य- अपनी मनोकामनाओं और लक्ष्य प्राप्ति के लिए प्राकाम्य सिद्धि काम आती है।

7. वशित्व- इस सिद्धि के जरिए किसी को भी वश में किया जा सकता है।
8— ईशित्व- इस महत्वपूर्ण सिद्धि से ईष्ट तथा ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
गौरतलब है कि पूरी श्रद्धा के साथ हनुमान जी सेवा—भक्ति करके हनुमान भक्त इन सिद्धियों की प्राप्ति से देवतुल्य हो जाता है।

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