यदि 31 मार्च तक निवेश और टैक्स सेविंग के लिए स्मार्ट प्लानिंग नहीं की गई तो आपको ज्यादा टैक्स देना पड़ सकता है। टैक्स प्लानिंग का मतलब सिर्फ अलग-अलग कटौतियों का फायदा उठाना नहीं है। किसी भी तरह के कैपिटल गेन को टैक्स फ्री कैसे बनाया जाए। जिसके अलावा कटौती का सबसे ज्यादा फायदा कहां मिल रहा है। टैक्स सेविंग स्मार्ट मूव्स के बारे में जो निवेश की दृष्टि से भी बेहतरीन माने जाते हैं।

धारा 80C सबसे लोकप्रिय कर बचत अनुभाग है। सीमा 1.5 लाख रुपये है और इसमें कई तरह की कटौती शामिल की जा सकती है. इस धारा के तहत कौन से दावे शामिल किए जा सकते हैं। धारा 80सी भविष्य निधि, सार्वजनिक भविष्य निधि, जीवन बीमा प्रीमियम, गृह ऋण ईएमआई में मूल राशि, बच्चों के लिए शिक्षण शुल्क, इक्विटी लिंक्ड बचत योजनाओं सहित कई प्रकार के खर्चों को कवर कर सकती है।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, यदि आप नौकरी करते हैं तो आपको राष्ट्रीय पेंशन योजना में निवेश करना चाहिए। NPS में निवेश धारा 80CCD के तहत कटौती का लाभ प्रदान करता है। एनपीएस के अलावा अटल पेंशन योजना को भी शामिल किया जा सकता है। 1.5 लाख रुपये है। इसके अलावा उप धारा 1बी यानी 80सीसीडी के तहत 50 हजार की अतिरिक्त कटौती का लाभ उठाया जा सकता है। कुल मिलाकर पेंशन फंड में निवेश करके अधिकतम 2 लाख तक का लाभ उठाया जा सकता है।

जैसा कि हम जानते हैं कि अगर आपकी शुद्ध कर योग्य आय 5 लाख से कम है तो कोई कर नहीं लगता है। इससे ज्यादा होने पर टैक्स लगेगा। पुराने टैक्स सिस्टम में डिडक्शन की सुविधा दी गई है। इसके तहत 2.5 लाख तक का इनकम टैक्स फ्री है। 2.5 लाख से लेकर 5 लाख तक पर 5 फीसदी की दर से टैक्स लगता है. 5-10 लाख के बीच 20 फीसदी टैक्स लगता है। 10 लाख से अधिक की कर योग्य आय पर 30 प्रतिशत कर लगाया जाता है। ऐसे में माइनर प्लानिंग की मदद से हजारों रुपये की बचत की जा सकती है. किसी तरह अपने टैक्स स्लैब को कम करने पर ध्यान देना चाहिए।

समय-समय पर निवेश को भुनाएं और जरूरत पड़ने पर इस फंड को टैक्स सेविंग स्कीमों में दोबारा निवेश करें। उनका मानना है कि इमरजेंसी फंड में हमेशा कुछ न कुछ जरूर रखना चाहिए। निवेश को भुनाएं और कुछ इमरजेंसी फंड में जमा करें। आपने जो पूंजीगत लाभ अर्जित किया है, उसे लंबी अवधि के लिए निवेश करें।

वित्तीय विशेषज्ञ भी सलाह देते हैं कि लंबी अवधि के लिए निवेश करने से पहले आप गंभीरता से सोचें। क्योंकि 31 मार्च में बहुत कम समय बचा है। ऐसे में बीमा क्षेत्र के एजेंट अपने ग्राहकों पर जल्दबाजी में फैसला लेने का दबाव बनाते हैं। निवेशक भी टैक्स बचाने के डर से जल्दबाजी में यह फैसला लेते हैं, जो सही नहीं है। यदि आप लंबी अवधि के लिए निवेश करना चाहते हैं तो सोच-समझकर फैसला लें। आने वाले कल में आपकी आर्थिक स्थिति कैसी होगी, इस दिशा में भी सोचें।

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