तालिबानी राज का असर जिन पर सबसे ज्यादा पड़ेगा वो महिलाऐं हैं। तालिबान राज के बाद उनकी जिंदगी नर्क होने वाली है और कई नियमों को भी उन्हें मानना पड़ेगा। शरिया कानून के मुताबिक महिलाओं के तमाम अधिकार छीन लिए जाते हैं। साल 2001 में जब अफगानिस्तान में तालिबान का शासन था, महिलाओं ने बहुत कुछ सहा है। अब भी उन्हें उन्ही नियमों का पालन करना होगा।

तालिबान के वो 10 नियम, जो नर्क बनाते हैं महिलाओं की ज़िंदगी

महिलाएं सड़कों पर किसी भी करीबी रिश्तेदार के बिना नहीं जा सकती है।
महिलाऐं घर के बाहर निकलती है तो उन्हें बुर्का पहनना जरूरी है।
पुरुषों को महिलाओं के आने की आहट न सुनाई दे, इसलिए महिलाऐं हील्स नहीं पहन सकती है।
पब्लिक प्लेस पर अजनबियों के सामने महिला की आवाज़ सुनाई नहीं देनी चाहिए /
ग्राउंड फ्लोर के घरों में खिड़कियां पेंट होनी चाहिए, जिस से कि घर के अंदर महिलाऐं दिखाई ना दें।
महिलाएं तस्वीर नहीं खिंचवा सकती हैं, न ही उनकी तस्वीरें अखबारों, किताबों और घर में लगी हुई दिखनी चाहिए।
महिला शब्द को हर जगह से हटा देना चाहिए।
महिलाएं घर की बालकनी या खिड़की पर खड़ी नहीं होनी चाहिए।
महिलाएं किसी भी सार्वजनिक एकत्रीकरण का हिस्सा नहीं होनी चाहिए।
महिलाएं नेल पेंट नहीं लगा सकती हैं, न ही वे मर्जी से शादी करने का सोच सकती हैं।


अगर नहीं माने नियम, तो खौफनाक सज़ा


महिलाओं के लिए बनाए गए नियम कायदे अगर कोई महिला ना मानें तो उन्हें क्रूर सजा भी मिल सकती है। तालिबान राज के दौरान वहां महिलाओं को सार्वजनिक तौर पर बेइज्ज़त किया जाना और पीट-पीटकर मार दिया जाना आम सज़ा थी। लड़की अगर अरेंज मैरिज से मना करती है तो उसकी नाक और कान काटकर मरने के लिए छोड़ दिया जाता है।

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