समुद्र मन्थन एक प्रसिद्ध हिन्दू धर्मपौराणिक कथा है। समुद्रमंथन के बारे में आप सभी ने जरूर सुना होगा। यह कथा भागवत पुराण, महाभारत तथा विष्णु पुराण में आती है। ये काम देवताओं और असुरों ने मिलकर किया था, जिसमे अमृत और विष जैसी चीजों के साथ कई रत्न और माता लक्ष्मी का प्रादुर्भाव हुआ था। लेकिन क्या आपको इस बारे में जानकारी है कि समुद्रमंथन कहा हुआ था? हम आपको इसी बारे में बताने जा रहे है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार देवताओं और असुरों ने मिलकर मंदराचल पर्वत को मथानी की तरह और वासुकी नाग को रस्सी की तरह उपयोग करते हुए समुद्र मंथन किया था। यह पर्वत गुजरात के दक्षिणी समुद्र में मिला है। एक वैज्ञानिक परीक्षण के अनुसार इसकी पुष्टि की गयी है कि गुजरात के दक्षिणी हिस्से में पिंजरत नामक गांव है, वहीँ समुद्रतल में इसके होने की पुष्टि वैज्ञानिकों ने की है।

रिसर्च में ये पाया गया है कि इस पर्वत पर घिसाव के निशान साफतौर पर देखे जा सकते हैं। हालाँकि यह निशान जल तरंगों के कारण भी हो सकते थे, लेकिन कार्बन टेस्ट के बाद इसे मंदराचल पर्वत होने की पुष्टि की गयी। समुद्रतल में पाए जाने वाले पर्वतों की तुलना में ये पर्वत थोड़ा अलग तरह से बना है। इसके साथ ही इसमें ग्रेनाईट की मात्रा भी काफी ज्यादा थी।

यह पर्वत समुद्रतल से 800 मीटर की गहराई पर मिला है। यह पर्वत पिंजरत गाँव से दक्षिण दिशा में 125 किमी की दूरी पर स्तिथ है इसी कारण से कहा जा रहा है कि यही वो स्थान है जहाँ पर समुद्र मंथन हुआ था।

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