भगत सिंह ने बहुत ही कम उम्र में मौत को गले लगा लिया था। दूसरी ओर भगत सिंह के बारे में तथ्य यह है कि वे एक घोषित नास्तिक थे, लेकिन फिर भी वे अपनी मां का बहुत सम्मान करते थे। आपको बता दें कि बचपन में जब भगत सिंह सगाई का नाम सुनते ही घर से भाग गए थे, तब मां विद्यावतीजी बहुत खो गई थीं क्योंकि उनके सपने धुल गए थे। वह लाहौर के ग्वालमंडी में एक प्रसिद्ध ज्योतिषी के पास गई और उस ज्योतिषी ने उससे भगत सिंह के कुछ कपड़े मांगे।

इस पर जब उनकी पगड़ी भेंट की गई तो कुछ देर मंत्र का जाप करने के बाद ज्योतिषी ने कहा, 'तुम्हारा बेटा कुछ दिन बाद आएगा, लेकिन फिर चला जाएगा। इस लड़के की किस्मत भी गजब की है। या तो यह तख़्त पर बैठेगा या तख़्त पर झूलेगा'। वहीं भगत सिंह का केस चल रहा था। हालांकि उनकी मां हमेशा उनके लिए डरती थीं। कहा जाता है कि फांसी से पहले भगत सिंह अपनी मां से आखिरी बार मिले थे।


उस समय उन्होंने अपनी मां विद्यावती से कहा था, 'मेरे शव को लेने मत आना और कुलबीर (छोटे भाई) को भेज देना, क्योंकि अगर तुम आओगे तो तुम रोओगे और मैं नहीं चाहता कि लोग यह कहें कि भगत सिंह की मां रोना आ रहा है। आपको बता दें कि भगत सिंह अक्सर जेल में उनसे मिलने आई अपनी मां से रोने के लिए नहीं कहते थे, क्योंकि इससे उनके बेटे द्वारा देश के लिए किए जा रहे बलिदान का महत्व कम हो जाता था।

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