खुद पर ध्यान दें और भावनात्मक रूप से अपने पार्टनर पर निर्भर ना हों
हर कोई जिंदगी को अपने तरीके से जीने की कोशिश करता है। जहां कई लोग जीवन में व्यावहारिक होते हैं, वहीं कुछ लोग भावनात्मक रूप से जीवन स्थितियों से निपटते हैं। बहुत से लोग विशेष रूप से प्यार में भावनात्मक लत के शिकार हो जाते हैं। इमोशनल एडिक्शन को आम बोलचाल में इमोशनल अटैचमेंट भी कहा जा सकता है। अगर आपने भी भावनाओं और भावनाओं को अपनी आदत बना ली है और यह आदत दूर नहीं हो रही है, तो आज हम आपको बताएंगे कि इस भावनात्मक संबंध से कैसे निकला जाए। सुझावों की मदद से आप भावनात्मक लगाव की आदत पर नियंत्रण पा सकते हैं।
भावनात्मक लगाव के मामले में आप किसी भरोसेमंद दोस्त या परिवार के सदस्य की मदद ले सकते हैं। उनसे अपने व्यवहार से जुड़े कुछ सवाल पूछें और अपने अंदर आए बदलावों को जानने की कोशिश करें। भावनात्मक लत से बाहर निकलने के लिए सबसे पहले आपको अपनी भावनाओं को समझना होगा। यह पता लगाने की कोशिश करें कि कहीं आप इन आदतों के शिकार तो नहीं हो गए। तभी आप इन आदतों को बदलने पर ध्यान दे सकते हैं।
कई बार लोग अपनी कुछ आदतों को चाहकर भी नहीं बदल पाते हैं। हालांकि, बदलने की मंशा को मजबूत करने के लिए दिमाग को स्वस्थ रखना जरूरी है। चीनी, ग्लूटेन और प्रोसेस्ड फूड खाने से दिमाग सुस्त हो सकता है। इसके बजाय, आप फलों, हरी सब्जियों और पोषक तत्वों से भरपूर आहार खाकर अपनी आदतों को आसानी से नियंत्रित कर सकते हैं।
अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने के लिए मेडिटेशन एक अच्छा विकल्प है। ध्यान करने से आप न केवल खुद से जुड़ते हैं बल्कि अपनी ताकत और कमजोरियों को भी करीब से देखते हैं। ऐसी स्थितियों में अपनी आदतों को देखकर आप आसानी से अपनी सोच बदल सकते हैं और भावनात्मक लगाव से भी छुटकारा पा सकते हैं।