दोस्तों, इस स्टोरी में हम आपको स्वामी विवेकानंद के जीवन की उस प्रचलित घटना के बारे में बताने जा रहे हैं, जब उन्होंने कुछ ही देर में पूरी किताब पढ़ ली। इसके बाद उनके मित्र ने उन्हें परखने के लिए पूछा कि क्या वाकई पूरी किताब पढ़ ली है, तब उन्होंने बड़ी आसानी से बता दिया कि किस पृष्ठ पर क्या लिखा है और कहां प्रूफ की गलती रह गई है। जब स्वामी विवेकानंद के मित्र ने उनसे पूछा कि इतनी जल्दी पूरी किताब याद कैसे कर ली। इसके बाद उन्होंने जो उत्तर दिया उसे आप भी ध्यान से पढ़ें।

दोस्तों, आपको जानकारी के लिए बता दें कि स्वामी विवेकानंद के बचपन का नाम नरेंद्र था। कहा जाता है कि उनके साथ कोई दैवीय शक्ति भी थी। एक बार वह कोई भी किताब पढ़ लेते थे, उसका एक-एक अक्षर उन्हें याद हो जाता था। भारत की समस्त जनता उनके प्रतिभा की कायल थी।

स्वामी विवेकानंद एक बार अपने किसी विदेशी मित्र से मिलने के लिए उसके घर गए। जिस कमरे में वह बैठे हुए थे, वहां कुछ किताबें भी रखी थीं। इसी बीच उनका मित्र थोड़ी देर के लिए किसी काम से बाहर चला गया। खाली समय में विवेकानंद ने एक किताब उठा ली, जिसे उन्होंने अपने जीवन में कभी नहीं पढ़ी थी।

जब तक मित्र अपना काम निपटाकर लौटा तब तक उन्होंने पूरी किताब पढ़ ली। इसके बाद जब उनके मित्र ने विवेकानंद को परखने के लिए पूछा कि क्या सच में पूरी किताब पढ़ ली। तब विवेकानंद ने उस किताब की व्याख्या ही कर डाली और बता दिया कि किस पृष्ठ पर क्या लिखा है, और कहां प्रूफ की गलती रह गई है।

विवेकानंद की यह प्रतिभा देखकर उनका मित्र चकित रह गया। उसने पूछा कि यह कैसे संभव हो सका? तब स्वामी विवेकानंद ने जो कहा उसे आप भी ध्यान से पढ़ें- उन्होंने कहा कि मैं हमेशा अपने मन पर किसी भी समस्या या चिंता को हावी नहीं होने देता हूं। इसी कारण जहां चाहता हूं, वहां शांति मिल जाती है। मन को अपने वश कर लेने से शांति खोजने की जरूर नहीं पड़ती है। इस प्रकार आप भी अपने मन को वश में करके अभ्यास के द्वारा एक बार में पूरी किताब याद करने की शक्ति अर्जित कर सकते हैं।

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