चार बहनों में एकलौता भाई सुशांत सिंह राजपूत ने कल दुनिया को अलबिदा कह दिया , लेकिन आपको बता दे वो कभी भी मां की ममता कभी भूल नहीं पाये। मौत से 10 दिन पहले ही उन्होंने इंस्टाग्राम पर अपनी मां को याद करते हुए एक भावुक पोस्ट लिखा था। सुशांत मां के दुलारे थे। चार बहनों में एकलौते भाई थे सुशांत।

कहते है माता उषा सिंह की बात उनके लिए पत्थर की लकीर थी। मां ने बहुत पहले उनके मुंडन की मनौती मांगी थी। उन्होंने संकल्प लिया था कि वे अपने मायके के मंदिर में बेटे का मुंडन कराएंगी। लेकिन अलग-अलग वजहों से मुंडन कार्यक्रम टलता रहा। इस बीच 2002 में उनकी मां का निधन हो गया। उस समय सुशांत की उम्र 16 साल थी।

मां की मौत के बाद वो अपनी बड़ी बहन में ही मां की छवि देखने लगे थे। मां गुजर गयीं लेकिन सुशांत की यादों में वे हमेशा जिंदा रहीं। वे ये बात भूले नहीं थे कि मां ने उनके लिए मुंडन की मनौती मांगी है। आखिरकार 17 साल बाद 2019 में वे पूर्णिया के बड़हरावा कोठी स्थित अपने पैतृक घर लौटे। उनकी ननिहाल खगड़िया जिले के चौथम प्रखंड के बोरने गांव में है। सुशांत ने ननिहाल के मनसा देवी मंदिर में अपना मुंडन कराया था। वैसे तो मुंडन संस्कार बचपन में कराया जाता है लेकिन सुशांत ने 33 साल की उम्र में इसलिए कराया क्यों कि यह उनकी मां की इच्छा थी।

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