कुरुक्षेत्र पर जब युद्ध हो रहा था तो इस दौरान भीष्म घायल हो गए थे और उनके घायल होने के बाद कौरवों को ये आभास हो रहा था कि वे ये युद्ध हारने वाले हैं। इसके बाद कौरवों ने चक्रव्यूह की रचना की।

कौरव जानते थे कि इस चक्रव्यूह को भेदने की कला केवल अर्जुन को ही मालूम है। इसलिए उन्होंने कर्ण को अर्जुन के पीछे लगा दिया ताकि अर्जुन इन सब चीजों से दूर हो जाए और चक्रव्यूह को ना तोड़ पाए। लेकिन अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु रथ से उतरकर चक्रव्यूह तोड़ने निकल पड़े।

अभिमन्यु ने कौरवों की सेना पर एक के बाद एक बाणों की वर्षा कर दी और इस से एक एक करके कौरव सैनिक जमीन पर गिरने लगे और वे चक्रव्यूह के भीतर प्रवेश कर गये। उनके पराक्रम को देखकर सभी दंग रह गए कि कोई इतनी कम उम्र में ऐसा कैसे कर सकता है ?

अभिमन्यु के युद्ध कोशल को देखकर सूर्यपुत्र कर्ण भी चिंतित हो गये और उन्होंने द्रोणाचर्य को कहा कि वे भी अभिमन्यु की इस कला को देख कर हैरान हैं। यदि अभिमन्यु ने ये व्यूह तोड़ दिया तो पांडवों को जीतने से कोई नहीं रोक सकता है।

अभिमन्यु को रास्ते से हटाने के लिए कौरवों ने युद्ध के नियम तोड़ दिए और व्यूह के भीतर ही अभिमन्यु को मार दिया।

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