आज के डिजिटल वर्ल्ड में मोबाइल फोन हमारे जीवन का अहम हिस्सा बन गए हैँ, जो ना केवल बुजुर्गों और युवाओं के पास हैं बल्कि बच्चों के पास भी हैँ। जिसमें वो किसी भी प्रकार का कंटेंट देख सकते हैं, अगर हम हाल के सालों की बात करें तो बच्चे अपने मोबाइल फोन पर पोर्नोग्राफी देख रहे हैं, जो एक बड़ी समस्या हैं, इस समस्या को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मोबाइल डिवाइस पर चाइल्ड पोर्नोग्राफी देखने के मामले में एक महत्वपूर्ण चेतावनी जारी की है। कोर्ट ने ऐसी सामग्री को देखना या डाउनलोड करना अपराध की श्रेणी में रखा है, जिससे मौजूदा कानूनों के सख्त क्रियान्वयन की आवश्यकता पर बल मिलता है। आइए जानते हैं इसके बारे में पूरी डिटेल्स

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चाइल्ड पोर्नोग्राफी को अपराध घोषित किया गया: सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने दृढ़ता से स्थापित किया है कि बच्चों से जुड़ी पोर्नोग्राफ़िक सामग्री तक पहुँचना, चाहे डाउनलोड के माध्यम से हो या स्ट्रीमिंग के माध्यम से, एक आपराधिक कृत्य है।

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पिछले न्यायालय के फैसले को पलटना: यह फैसला मद्रास उच्च न्यायालय के पिछले फैसले को पलट देता है, जिसने चाइल्ड पोर्नोग्राफी को अपराध के रूप में वर्गीकृत नहीं किया था। अब, अपराधियों पर आईटी अधिनियम और पोक्सो अधिनियम के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है।

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कानूनी परिणाम: ऐसी सामग्री को देखते या डाउनलोड करते पकड़े जाने पर व्यक्ति को कारावास और भारी जुर्माना हो सकता है।

सरकारी कार्रवाई: केंद्र सरकार ने पहले ही बाल पोर्नोग्राफ़ी तक पहुँच की सुविधा देने वाली कई वेबसाइटों और एप्लिकेशन पर प्रतिबंध लगाने के लिए कदम उठाए हैं।

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