मासिक धर्म और माहवारी, जिसे हम आजकल आम भाषा में पीरियड्स कहते हैं, पहले समय की बात करे तो इस पर बात करना हम सभी सही नहीं मानते थे , लेकिन पिछले कुछ सालों में पीरियड्स को लेकर खुलकर बातचीत होनी शुरु हो गई है। खबरों के अनुसार भारत में हर साल लगभग 43.2 करोड़ सैनिटरी नैपकिन इस्तेमाल होते हैं।

आज का मुद्दा पैड्स के इस्तेमाल का नहीं बल्कि इससे जुड़े साइड इफेक्ट्स का है, आजकल जिन नेपकिंस के इस्तेमाल का बढ़ावा दिया जा रहा है, वह सेहत के लिए नुकसान देह है क्योंकि यह सिंथेटिक के बने होते हैं। यह रीसाइकिल नहीं होते इसलिए पर्यावरण को भी इसका खतरा है।

इसी बात को ध्यान में रखते हुए केरल सरकार औरतों को मेंस्ट्रुअल कप्स के इस्तेमाल की बात रखी। ये कप्स सिलिकॉन के बने होते हैं और सिलिकॉन एक तरह की रबर जैसी चीज होती है जो शरीर के लिए सेफ होता है। इसे आप 6 से 7 घंटे इस्तेमाल कर सकते हैं और बाद में इसे आप खाली कर दें। ये कप्स यूट्रस से निकलने वाले ब्लड को इक्ट्ठा कर लेते हैं जिन्हें आप बाद में साफ पानी से धो भी सकते हैं।

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