आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस दिन से शरद ऋतू यानी सर्दियों की शुरुआत होती है। अगले दिन से पूजा-पाठ और त्योहारों का कार्तिक महीना शुरू होता है। अबकी बार शरद पूर्णिमा 19 अक्टूबर को है।

शरद पूर्णिमा की रात को लोग खीर बनाकर आसमान के नीचे रखते हैं और अगले दिन इसे प्रसाद के तौर पर ग्रहण करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन चाँद अपनी सोलह कलाओं से अभिभूत होता है और इससे अमृत बरसता है। चाँद से अमृत बरसता है और जब ये अमृत उस खीर के अंदर जाता है तो इसको खाने से कई तरह के स्वास्थ्य लाभ होते हैं। आइए जानते हैं इसके पीछे का वैज्ञानिक कारण।

ये है खीर रखने का वैज्ञानिक कारण
चंद्रमा की रोशनी में खीर रखने का वैज्ञानिक महत्व होता है। शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा पृथ्वी के बेहद करीब होता है। ऐसे में चंद्रमा की किरणों के रासायनिक तत्व पृथ्वी पर पड़ते हैं। इसलिए अगर खीर को रात को चंद्रमा की रोशनी के नीचे रखा जाए तो वो तत्व खीर में समाहित हो जाते हैं। इन रासायनिक तत्वों में सभीविटामिन और मिनरल्स होते हैं। इस से इम्यून सिस्टम अच्छा होता है। इस से स्किन स्किन रोग, कफ संबन्धी विकार और श्वास से संबन्धित समस्याओं से मुक्ति मिलती है।

खीर रखते समय इन बातों का रखें खयाल
1. रात को नहाने के बाद ही खीर बनाए। अगर संभव है तो खीर गाय के दूध में बनाएं।

2. खीर बनाने के बाद मां लक्ष्मी और नारायण को इसका भोग लगाएं।

3. इसे कांच, मिट्टी या चांदी के बर्तन में रखें। इसके बाद इसे जाली से ढक दें जिस से इसमें कोई कीट पतंगे नहीं गिरे।

4. खीर के प्रसाद को दूसरे द‍िन सुबह जल्दी खाली पेट खाएं।

शुभ मुहूर्त
शरद पूर्णिमा की तिथि: 19 अक्टूबर
शुभ मुहूर्त: शाम 05:27 बजे से
पूर्णिमा तिथि शुरू : 19 अक्टूबर शाम 7 बजे से
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 20 अक्टूबर रात 08:20 बजे से

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